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हिंदू कैलेंडर के अनुसार अगस्त माह में रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, हरितालिका तीज समेत पड़ रहे हैं ये व्रत त्‍योहार

सावन के पवित्र माह के साथ अगस्त 2020 की शुरूआत हो चुकी है। इस साल अगस्त माह में कई बड़े व्रत त्योहार पड़ रहे हैं। देखें पूरी लिस्ट।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: August 01, 2020 15:51 IST
अगस्त 2020 के व्रत त्योहार- India TV Hindi
Image Source : INSTA/RADHIKA_SARKAR108/BROTHERSKITCHEN4 अगस्त 2020 के व्रत त्योहार

सावन के पवित्र माह के साथ अगस्त 2020 की शुरूआत हो चुकी है। इस साल अगस्त माह में कई बड़े व्रत त्योहार पड़ रहे हैं। इस माह की शुरुआत शनि प्रदोष व्रत के साथ हो गई है। इसके साथ ही इस माह रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, हरितालिका तीज पड़ रही हैं। जानिए अगस्त माह में पड़ने वाले सभी व्रत त्योहारों के बारे में।

1 अगस्त   शनिवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के समय भगवान शंकर की पूजा का विधान है | त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में सुख ही सुख मिलता है | लिहाजा आज के दिन शिव प्रतिमा के दर्शन अवश्य ही करने चाहिए | आज शनि प्रदोष के दिन भगवान शंकर के साथ ही शनिदेव की पूजा का बड़ा ही महत्व है | शनि प्रदोष व्रत सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी और संतान की कामना से किया जाता है | 

3  अगस्त   सोमवार, रक्षा बंधन , श्रावण पूर्णिमा व्रत

सावन के पावन माह में आने वाले भाई-बहन के त्योहार रक्षाबंधन का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन बहनें भाई के हाथों में राखी बांधती है और भाई बहनों को रक्षा के वचन के साथ प्यारा सा तोहफा देते है। वहीं बहने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

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6 अगस्त    गुरुवार     कजरी तीज

कजरी तीज भादो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना रखते हुए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करती है। 

7  अगस्त   शुक्रवार    संकष्टी चतुर्थी
संकष्ठी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन गणपति की विधि विधान से पूजा करने से आपको हर कष्ट से छुटकारा मिल जाएगा। 

12  अगस्त   बुधवार   जन्माष्टमी
 भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव इस दिन मनाया जाता है। श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षण में आधी रात को हुआ था। इस दिन पूरे देश में बहुत ही धूमधाम के साथ इस पर्व को मनाया जाता है। 

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15 अगस्त    शनिवार    अजा एकादशी
 भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को 'अजा एकादशी व्रत' के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि अजा एकादशी व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ जैसा फल मिलता है। इस व्रत को करने से ही राजा हरिशचंद्र को अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था और मृत पुत्र भी जीवित हो गया था। पुराणों में यह भी कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर सभी पापों का अंत होता है। 

16 अगस्त     रविवार     प्रदोष व्रत (कृष्ण) , सिंह संक्रांति
हर माह दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अर्चना करके मनचाही इच्छा पूर्ण कर सकते हैं। 

17 अगस्त   सोमवार    मासिक शिवरात्रि
प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि व्रत पड़ता है।  इस दिन भगवान शिव की पूजा  की जाती है। 

19 अगस्त    बुधवार    भाद्रपद अमावस्या
 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार  इस अमावस्या में पतिर तर्पण के लिए काफी क्षेष्ठ माना जाता है। 

21 अगस्त    शुक्रवार   हरतालिका तीज
भाद्रपद मास की तृतीया को हरितालिका तीज मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं सौभाग्यवती के वरदान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत काफी कठिन माना जाता है। 

22 अगस्त    शनिवार   गणेश चतुर्थी
भगवान गणेश का जन्म भादप्रद माह के शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी को हुआ था। इसलिए हर साल यह पर्व इसी दिन गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस बार कोरोना काल के कारण मुंबई में इसकी रौनक फीकी नजर आएगी। 

29 अगस्त    शनिवार   परिवर्तिनी एकादशी
इस एकादशी को पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। 

30 अगस्त    रविवार     प्रदोष व्रत (शुक्ल)
भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए यह सबसे विशेष दिन माना जाता है। किसी भी प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की महिमा अपरमपार होती है | प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का बहुत महत्व होता है | प्रदोष काल उस समय को कहा जाता है, जब दिन छिपने लगता है, यानि सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय और रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। आपको बता दें सावन का आखिरी प्रदोष व्रत है। जिसके कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।   

31 अगस्त    सोमवार   ओणम/थिरुवोणम
ओणम केरल का दस दिवसीय त्यौहार है और इस पर्व का दसवाँ व अंतिम दिन बेहद ख़ास माना जाता है जिसे थिरुवोणम कहते हैं।

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