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विनायक चतुर्थी 2 को: ऐसे करें गणपति बप्पा की पूजा, होगी हर मनोकामना पूर्ण

प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार गुरुवार के दिन पड़ने के कारण यह और भी शुभ है। जानिए इस दिन किस तरह व्रत करने से भगवान गणेस जल्द प्रसन्न होगे। जानिए...

India TV Lifestyle Desk
Published : March 01, 2017 19:13 IST
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धर्म डेस्क: गणपति को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी का स्वामी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है। गणेश का मतलब है गणों का स्वामी।

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सर्वप्रथम पूज्य गणेशजी की पूजा तो हर दिन हर घर में की जाती है। सच्चे मन से गणेश की पूजा की जाए तो आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का सबसे शुभ दिन है। शिव-पार्वती के पुत्र गणेश जी को हम कई नामों से जानते है जैसे कि सुमुख, एकदंत, लंबोदर, विकट, विघ्ननाशन, विनायक, धूमकेतु, गजानन है। जिन्हे हम कष्टों को हरने वाला मानते है। इस बार विनायक चतुर्थी 2 मार्च , गुरुवार को है।

प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार गुरुवार के दिन पड़ने के कारण यह और भी शुभ है। जानिए इस दिन किस तरह व्रत करने से भगवान गणेस जल्द प्रसन्न होगे। साथ ही आपके परिवार और आपके ऊपर कृपा बनी रहेगी।

ऐसे करें पूजा

इस दिन ब्रह्म मूहुर्त  में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। और भगवान की पूजा करें। इसके बाद दोपहर के समय अपनी इच्छा अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

इसके बाद संकल्प मंत्र पढ़े और फिर श्री श्रीगणेश की षोड़शोपचार (सोलह सामग्रियों से) पूजन-आरती करें। भगवान गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। और बोग में गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं खिलाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।

इसके बाद पूजा में भगवान श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के बाद शाम के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। संभव हो तो उपवास करें। इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा आप पर बनी रहेगी।आप जिस काम में हाथ डालोंगे उसमें आपको सफलता जरुर मिलेगी।

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