धर्म डेस्क: हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत को करवा चौथ के तरह ही माना जाता है। ग्रंथ स्कन्द व भविष्य पुराण में वट सावित्री के बारे में बताय़ा गया है जिसके अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है, लेकिन निर्णयामृतादि के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को करने का विधान है। यह व्रत अपने पति के दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस बार ये व्रत 25, गुरुवार के दिन है। (अगर इन उपायों को अपनाएंगे तो टल जाएगी अनहोनी, जीवन होगा सुखी)
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आज सुबह 8बजकर 16 मिनट पर सूर्य देव कृतिका नक्षत्र को छोड़कर रोहिणी नक्षत्र में चले जायेंगे। हमने 11 मई को आपको बताया था कि सूर्य देव आज दिन में 12 बजकर 3 मिनट पर कृतिका नक्षत्र मे चले जायेंगे जहां ये 25 मई की सुबह 8 बजकर 16 मिनट तक रहेंगे। जानिए शुभ मुहू्र्त और पूजा विधि के बारें में।
वट सावित्रि अमावस्या तिथि प्रारंभ: सुबह 5 बजकर 7 मिनट से (25 मई 2017)
वट सावित्रि अमावस्या तिथि समाप्त: सुबह 1 बजकर 14 मिनट तक (26 मई 2017)
पूजन विधि
वट सावित्री व्रत के दिन सभी कामों से मुक्त होकर अपने जल को गंगाजल से पवित्र करना चाहिए। इसके बाद सोलह श्रृंगार करके महिलाएं बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्माजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। ब्रह्माजी के बाईं ओर सावित्री तथा दूसरी ओर सत्यवान की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।
इसके बाद टोकरी को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रख देना चाहिए। इसके बाद सावित्री व सत्यवान का पूजन कर, वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करना चाहिए।
अगली स्लाइड में पढ़े पूरी पूजा के बारें में