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वट सावित्री व्रत 2018: जानिए व्रत का शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

इस साल वट सावित्री 15 मई को मनाया जाएगा। इस व्रत का अपने आप में खास महत्व होता है। महिलाएं अपने पति और बच्चे के सलामती के लिए यह पूजा करती हैं। ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत किया जाता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : May 13, 2018 16:26 IST
वट सावित्री 2018- India TV Hindi
वट सावित्री 2018

धर्म डेस्क: इस साल वट सावित्री 15 मई को मनाया जाएगा। इस व्रत का अपने आप में खास महत्व होता है। महिलाएं अपने पति और बच्चे के सलामती के लिए यह पूजा करती हैं। ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस दिन वाट वृक्ष (बरगद) का पूजन किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने वाली स्त्री के पति पर आने वाल हर संकट दूर हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत को में पूजन सामग्री विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि बिना पूजन सामग्री यह व्रत का अधूरा रह जाता है।

वट सावित्री पूजन सामग्री 

सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, बांस का पंखा, लाल धागा, धूप, मिट्टी का दीपक,घी,फूल, फल (आम, लीची और अन्य फल), कपड़ा 1.25 मीटर का दो, सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र, रोली 

शुभ मुहुर्त
अमावस्या तिथि का आरंभ 14 मई 2018, सोमवार को 19:46 से होगा। 
जिसका समापन 15 मई 2018, बुधवार को 17:17 पर होगा।

ऐसे करें पूजा
वट सावित्री की पूजा के लिए विवाहित महिलाओं को बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करनी होती है। सुबह स्नान करके दुल्हन की तरह सजकर एक थाली में प्रसाद जिसमे गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, 5 प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर बरगद पेड़ के नीचे जाएं। और पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं, उसके बाद प्रसाद चढाकर धुप, दीपक जलाएं।

उसके बाद सच्चे मन से पूजा करके अपने पति के लिए लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें। पंखे से वट वृक्ष को हवा करें और सावित्री माँ से आशीर्वाद लें ताकि आपका पति दीर्घायु हो। इसके बाद बरगद के पेड़ के चारो ओर कच्चे धागे से या मोली को 7 बार बांधे और प्रार्थना करें। घर आकर जल से अपने पति के पैर धोएं और आशीर्वाद लें। उसके बाद अपना व्रत खोल सकते है।

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