वास्तु शास्त्र में कल हमने बात की थी पूर्व दिशा में मुख करके पूजा करने के बारे में और आज हम बात करेंगे अन्य दिशाओं में जप करने के बारे में। सामान्य तौर पर तो उत्तर या पूर्व दिशा में ही मुख करके पूजा-पाठ या जप किया जाता है, लेकिन कभी-कभी किसी फल की प्राप्ति के लिये अन्य दिशाओं में भी जप किया जाता है।
पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करने से धन, वैभव व ऐश्वर्य कामना की पूर्ति होती है। दक्षिण दिशा में मुख करके जप करने से षट्कर्मों की प्राप्ति होती है। उत्तर-पश्चिम, यानी वायव्य कोण की ओर मुख करके जप करने से शत्रु व विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है। दक्षिण-पूर्व, यानी आग्नेय कोण में मुख करके जप करने से आकर्षण व सौंदर्य कामना की पूर्ति होती है तथा दक्षिण-पश्चिम, यानी नैऋत्य कोण में मुख करके जप करने से किसी के दर्शन की कामना पूरी करता है।