नवरात्र स्पेशल वास्तु शास्त्र में कल आपको अष्टगंध के बारे में जानकारी दी गई थी, आज हम आपको पूजा में प्रसाद या नैवेद्य के बारे में बताएंगे। किसी भी पूजा में देवी-देवता को प्रसाद या नैवेद्य अर्पित किया जाता है, लेकिन उस प्रसाद का देवी-देवता को चढ़ाए जाने के बाद क्या करना चाहिये- उसे खाना चाहिये, फेंकना चाहिये, ऐसे ही पड़ा रहने देना चाहिये और साथ ही किस बर्तन में प्रसाद चढ़ाना चाहिये? ये एक महत्वपूर्ण सवाल है, क्योंकि इन सब चीजों का घर पर सीधा असर पड़ता है।
इसलिए बता दें कि नैवेद्य को धातु, यानि सोने, चांदी या तांबे के, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिये | साथ ही चढ़ाया हुआ नैवेद्य तत्काल निर्माल्य हो जाता है | कुछ देर बाद वह निगेटिव एनर्जी छोड़ने लगता है | अतः देवता को समर्पित करके प्रसाद को तुरंत उठा लेना चाहिये | ऐसा न करने पर विश्वकसेन, चण्डेश्वर, चन्डान्शु और चांडाली नामक शक्तियों के आने की बात कही गई है |
प्रसाद उठाने के बाद उसे थोड़ा-सा खुद खाना चाहिये और यथा संभव बांटना भी चाहिये | नवरात्र के वास्तु शास्त्र में कल आपको स्वास्तिक के चिह्न के बारे में जानकारी देंगे।