वास्तु शास्त्र में कल हमने बात की थी अखंड ज्योति और पूजा-सामग्री की दिशा के बारे में और आज हम बात करेंगे पूजा करने की सही दिशा के बारे में। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए इनमें से भी पूर्व दिशा में मुख करके पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ रहता है। क्योंकि पूर्व दिशा शक्ति व शौर्य की प्रतीक है।
वास्तु शास्त्र में पूजा के लिये पश्चिम की तरफ पीठ करके यानी पूर्वाभिमुख होकर बैठना ज्ञान प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है। इस दिशा में उपासना करने से हमारे भीतर क्षमता और सामर्थ्य का संचार होता है। जिससे हमें अपने लक्ष्य को हासिल करने में आसानी होती है।
इस दिशा में पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ लाभ मिलता है। कल हम बात करेंगे अन्य दिशाओं में जप करने से क्या फल मिलता है के बारे में।