वास्तु शास्त्र में आज आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व दिशा के बारे में। वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व दिशा को अग्नि प्रधान दिशा माना गया है। ये दिशा अग्नि संबंधी कार्यों के लिये जैसे हवन आदि के लिये, मन्दिर में ज्योत जलाने के लिये या आग व बिजली संबंधी चीज़ों को रखने के लिये उचित मानी गयी है। इस तरह की चीज़ें आग्नेय कोण में रखने से फायदा मिलता है और अग्नि का भय नहीं रहता। इस दिशा में रसोई बनवाना बड़ा ही अच्छा होता है। क्योंकि रसोई का संबंध भी मुख्यतः आग से है।
आपको बता दूं कि आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व दिशा के स्वामी शुक्राचार्य हैं। अतः दक्षिण-पूर्व दिशा का वास्तु अच्छा होने से शुक्र के भी शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिशा में आप अग्नि संबंधी चीज़ों के साथ ही लकड़ी से जुड़ी कुछ चीज़ें भी रख सकते हैं। क्योंकि लकड़ी आग को बढ़ाती है। अतः इस दिशा में लकड़ी की कुछ चीज़ें रखने से अग्नि तत्व को बल मिलेगा और इस दिशा का वास्तु और भी अच्छा होगा।
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