वास्तु शास्त्र में आचार्य इंदु प्रकाश से बताया था मन्दिर के लिये कमरे के निर्माण के बारे में और उसी कड़ी में आज जानिए। हमने आपको बताया था कि मन्दिर के लिये कमरे का निर्माण ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में करवाना चाहिए। दरवाजा भी इसी दिशा में निकलवाना चाहिए और मन्दिर में हर वक्त किसी न किसी प्रकार से रोशनी की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए।
इसके अलावा अगर मन्दिर की छत के निर्माण की बात करें तो पिरामिड या गुम्बद आकार सबसे अच्छा होता है। इस तरह की छत के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना करने से मन को शांति मिलती है और चेहरे पर प्रसन्नता बनी रहती है। वहीं अगर रंगों की बात करें तो मन्दिर वाले कमरे में हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे सफेद, आसमानी, हल्का पीला या हल्का गुलाबी, जबकि मन्दिर में काले रंग का प्रयोग वर्जित है।
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