Friday, November 29, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. उत्पन्ना एकादशी का जानें महत्व, कथा और पूजा विधि के बारें में

उत्पन्ना एकादशी का जानें महत्व, कथा और पूजा विधि के बारें में

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। हर साल 24 एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब यह 26 हो जाती है। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी व्रत किया जाता है।

India TV Lifestyle Desk
Updated : December 06, 2015 16:22 IST
lord krishna
lord krishna

साथ ही अपने अनुसार उन्हें दान दे देकर सम्मान के साथ विदा करना चाहिए। इसके बाद खुद भोजन करें। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस व्रत को करने से हजारों यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है।

उत्पन्ना एकादशी की कथा-

सतयुग में एक महा भयंकर दैत्य था। उसका नाम मुर था। उस दैत्य ने इन्द्र आदि देवताओं पर विजय प्राप्त कर उन्हें उनके स्थान से गिरा दिया। तब सभी शंकर जी के पास गए तो उन्होनें विष्णु भगवान के पास मदद मांगने के लिए भेज दिया। तब विष्णु ने देवताओं का मदद के लिेए अपने शरीर से एक स्त्री को उत्पन्न किया। जिसने मुर नामक राक्षस का वध किया। तब विष्णु भगवान ने प्रसन्न होकर उस स्त्री का नाम उत्पन्ना रख दिया।

इसका जन्म एकादशी में होने के कारण भगवान विष्णु ने उत्पन्ना को कहा कि आज के दिन जो भी व्यक्ति मेरी और तुम्हारी पूजा विधि-विधान और श्रृद्धा के साथ करेंगा। उसका सभी मनोकामाना पूर्ण होगी और उसे मोक्ष की प्राप्त होगी।

उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्त्व-

पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए। जिसस् आपको इसलका फल विष्णु के धाम में जानें के बराबर मिलेगा। इतना ही इस दिन दान देने से आपको कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन निर्जला व्रत रहने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपके द्वारा किए गए सभी पापों का नाश होता है।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement