Utpanna Ekadashi 2018 Date, Time, Muhurat: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी से ही व्रत शुरू करना चाहिए। दरअसल एक बार मुर नामक राक्षस ने भगवान विष्णु को मारना चाहा, तभी भगवान के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर नामक राक्षस का वध कर दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवी से कहा कि चूंकि तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है, इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। आज से प्रत्येक एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी। आज के दिन एकादशी की उत्पत्ति होने से ही इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी 3 दिसंबर, सोमवार को पड़ रही है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 2 दिसंबर दोहपर 2 बजे से।
एकादशी व्रत की तिथि- 3 दिसंबर 2018।
एकादशी तिथि समाप्त- 3 दिसंबर को 12 बजकर 59 मिनट पर
पारण का समय: 4 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 2 मिनच से 9 बजकर 6 मिनट के बीच।
ऐसे करें पूजा
कादशी तिथि पर स्नानादि से निवृत्त होकर पहले संकल्प लें और श्री विष्णु के पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें| प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित करें| आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। इस दिन ब्राह्मण भोज एवं दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है| अत: ब्राह्मण को भोज करवाकर दान-दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जप अवश्य करें| इस प्रकार विधिनुसार जो भी कामिका एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं। (उत्पन्ना एकादशी: बन रहा है बहुत ही अच्छा योग, हर इच्छा पूरी करने के लिए करें ये खास उपाय )
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
एक भयानक राक्षस ने अपनी शक्तियों से स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। राक्षस का नाम मुर था, इसके पराक्रम से स्वर्ग में कोई भी देवता टिक नहीं पाया था। जिसके बाद सभी देवतागण भोलेनाथ के पास गए और उन्हें पूरी गाथा सुनाई। तभी भगवान शिव ने सभी को भगवान विष्णु के पास जाने को कहा। तभी सभी देवतागण क्षीरसागर पहुंचे। वहां देखा कि विष्णु गहरी नींद में थे। सभी देवों ने विष्णु भगवान के जगने के इंतजार किया। जब भगवान विष्णु गहरी निंद्रा से जागे तो देवताओं ने वृतांत सुनाई। (3 दिसंबर 2018 राशिफल: सोमवार को बन रहा है सौभाग्य योग, इन राशियों को मिलेगा अचानक धनलाभ )
जिसके बाद विष्णु भगवान सोच में पड़ कि ऐसा कौन सा राक्षस है जिसने सभी देवताओं को स्वर्ग से निकलने पर विवश कर दिया। तभी विष्णु भगवान राक्षस का वध करने गए तो विष्णु जी के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ। और उन्होंने मुर राक्षस का वध कर दिया। तब भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर कहा कि ये कन्या एकादशी के दिन उत्पन्न हुई है इसीलिए तुम्हें उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाएगा। साथ ही इस दिन जो भी व्यक्ति पूरी निष्ठा-भाव के साथ व्रत और पूजा करेगा, उसकी सभी मनोकामना पूरी होंगी।