Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. Utpanna Ekadashi 2020: 11 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

Utpanna Ekadashi 2020: 11 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

जो लोग साल भर तक एकादशी व्रत का अनुष्ठान करना चाहते हे, उन्हें आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी से ही व्रत शुरू करना चाहिए। इस बार उत्पनना एकादशी 11 दिसंबर को पड़ रही हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : December 10, 2020 13:50 IST
Utpanna Ekadashi 2020: 11 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा
Image Source : INSTAGRAM/SPIRITUAL_REALITY_WORLD Utpanna Ekadashi 2020: 11 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की उदया तिथि एकादशी  को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जााना जाता है। जो लोग साल भर तक एकादशी व्रत का अनुष्ठान करना चाहते हे, उन्हें आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी से ही व्रत शुरू करना चाहिए। इस बार उत्पनना एकादशी 11 दिसंबर को पड़ रही हैं।

दरअसल एक बार मुर नामक राक्षस ने भगवान विष्णु को मारना चाहा, तभी भगवान के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर नामक राक्षस का वध कर दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवी से कहा कि चूंकि तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है, इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। आज से प्रत्येक एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी।

Solar Eclipse 2020: वृश्चिक राशि में लगने जा रहा है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, इन 6 राशियों को चमक जाएगी किस्मत

इस एकादशी की उत्पत्ति होने से ही इसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है और आज ही से एकादशी व्रत का अनुष्ठान भी किया जाता है।  बता दें कि उत्पन्ना  एकादशी व्रत का अनुष्ठान करना बहुत ही शुभ है क्यूंकि आज सौभाग्य योग भी है और सौभाग्य योग में शुरू किया गया एकादशी व्रत निश्चय ही सौभाग्य प्रदान करने वाला होगा।

उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ- 10 दिसंबर दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से शुरू

एकादशी तिथि समाप्त-  11 दिसंबर सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक

उत्पन्ना एकादशी पूजाविधि

पद्म पुराण के अनुसार माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु सहित देवी एकादशी की पूजा का विधान है। इसके अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की दशमी को भोजन के बाद अच्छी तरह से दातून करना चाहिए ताकि अन्न का एक भी अंश मुंह में न रह जाए। इसके बाद दूसरे दिन यानी कि उत्पन्ना एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प करके स्नान करना चाहिए।

शुक्र कर रहा है वृश्चिक राशि में प्रवेश, वृष सहित इन 5 राशियों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा प्रभाव

इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से पूजा करें और रात के समय दीपदान करना चाहिए। इस दिन सारी रात जगकर भगवान का भजन- कीर्तन करना चाहिए। साथ ही श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा भी मांगनी चाहिए। उत्पन्ना एकादशी के दूसरे दिन सुबह स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।

साथ ही अपने अनुसार उन्हें दान दे देकर सम्मान के साथ विदा करना चाहिए। इसके बाद खुद भोजन करें। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस व्रत को करने से हजारों यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है।

उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा

सतयुग में एक महा भयंकर दैत्य था। उसका नाम मुर था। उस दैत्य ने इन्द्र आदि देवताओं पर विजय प्राप्त कर उन्हें उनके स्थान से गिरा दिया। तब सभी शंकर जी के पास गए तो उन्होनें विष्णु भगवान के पास मदद मांगने के लिए भेज दिया। तब विष्णु ने देवताओं का मदद के लिेए अपने शरीर से एक स्त्री को उत्पन्न किया। जिसने मुर नामक राक्षस का वध किया। तब विष्णु भगवान ने प्रसन्न होकर उस स्त्री का नाम उत्पन्ना रख दिया।

इस तरह के स्वभाव वाले व्यक्ति कभी भी किसी को नहीं देते धोखा, फिर बात चाहे कोई भी हो

इसका जन्म एकादशी में होने के कारण भगवान विष्णु ने उत्पन्ना को कहा कि आज के दिन जो भी व्यक्ति मेरी और तुम्हारी पूजा विधि-विधान और श्रृद्धा के साथ करेंगा। उसका सभी मनोकामाना पूर्ण होगी और उसे मोक्ष की प्राप्त होगी।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement