नई दिल्ली: श्री राम ने अपने चौदह साल के वनवास में कई पुण्य और धर्म के काम किए जिसे हम सुनते चले आ रहे है। श्री राम ने ऐसे ही कई महान काम किया थे। उन्होनें रावण का वध कर उसके राक्षस राज का अंत किया था। जिसके लिए उनका जन्म हुआ था।
हिंदू धर्म के ग्रंथों में माना जाता है कि श्री राम ने रावण का वध तो कर दिया था,लेकिन उसका वध का पाप उन पर लग गया था, क्योंकि रावण एक ब्राम्हण था। जिसकी वजह से उन्होनें एक शिवलिंग की स्थापना की। जानिए इस शिवलिंग और इससे संबंधित पौराणिक कथा के बारें में।
यह शिवलिंग जिसे हम आज रामेश्वरम नाम से जानते है। इसको श्री राम ने रावण के हत्या के पाप से मुक्त होने के कारण स्थापित किया था। साथ ही यह शिवलिंग कोई सामान्य शिवलिंग नही है। इसे सीता माता ने खुद अपने हाथों से बनाया था।
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रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है। यह तमिल नाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत के समुद्र तट पर स्थित है | यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां यह मंदिर बारह ज्योतिलिंगों में से एक है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। जानिए इसके बारें में।
एक मान्यता के अनुसार जब भगवान राम, रावण को हरा कर आये थे तो पश्चाताप के लिए उन्होंने शिव की पूजा करने की योजना बनाई क्योंकि उनके हाथों से एक ब्राह्मण की मृत्यु हो गयी थी। शिव की पूजा के लिए उन्होंने हनुमान को कैलाश भेजा जिससे वह उनके लिंग रूप को वहां ला सकें पर जब तक हनुमान वापस लौटते तब तक सीता माता रेत का एक लिंग बना चुकी थी। हनुमान द्वारा लाए गए लिंग को विश्वलिंग खा गया जबकि सीता द्वारा बनाये गए लिंग को रामलिंग कहा गया। भगवान राम के आदेश से आज भी रामलिंग से पहले विश्वलिंग की पूजा की जाती है।