महंगी जीवनशैली
कहा जाता है कि उस समय आचार्य रजनीश की सेवा में 93 रॉल्स रॉयस गाड़ियां उपस्थित रहती थीं।
ओशो पर आरोप
अमेरिका की सरकार ने उन पर जालसाजी करने, अमेरिका की नागरिकता हासिल करने के उद्देश्य से अपने अनुयायियों को यहां विवाह करने के लिए प्रेरित करने, जैसे करीब 35 आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 4 लाख अमेरिकी डॉलर की पेनाल्टी भुगतनी पड़ी साथ ही साथ उन्हें देश छोड़ने और 5 साल तक वापस ना आने की भी सजा हुई।
पुणे में बसे
अमेरिका से लौटकर आचार्य रजनीश दोबारा पुणे आ गए। यहां आकर उन्होंने ‘ओशो’ नाम ग्रहण किया। उन्होंने नेपाल के काठमांडू और ग्रीस की यात्रा की, लेकिन किसी भी देश ने उन्हें रहने की अनुमति नहीं दी। वर्ष 1986 में ओशो रजनीश पुणे में ही बस गए, जहां रहते हुए उन्होंने अपने आश्रमों और सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया।
अंतिम समय
19 जनवरी, वर्ष 1990 में ओशो रजनीश ने हार्ट अटैक की वजह से अपनी अंतिम सांस ली। जब उनकी देह का परीक्षण हुआ तो यह बात सामने आई कि अमेरिकी जेल में रहते हुए उन्हें थैलिसियम का इंजेक्शन दिया गया और उन्हें रेडियोधर्मी तरंगों से लैस चटाई पर सुलाया गया। जिसकी वजह से धीरे-धीरे ही सही वे मृत्यु के नजदीक जाते रहे।
सत्य के लिए आंतरिक यात्रा
सत्य की खोज बाहर नहीं, अपने भीतर करो। होश पूर्ण जीवन जीवन यहीं और अभी है। प्रत्येक पल मरो, ताकि हर दूसरा क्षण नया जीवन जी सको। तैरो नहीं बह जाओ। जो यहीं है, उसे ढूंढ़ने की जरूरत नहीं है, रुको और देखो। जीवन, होश में जीयो।