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ऐसा मंदिर जहां खुद सम्राट अकबर गया हार, जानिए इनसे जुड़े और रहस्य

ज्वालामुखी मंदिर का यह मंदिर अपने आप पर अनोखा है, क्योंकि हां पर माता की कोई भी मूर्ति नहीं है बल्कि धरती के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा की जाती है। इन नौ ज्वालाओं जो चांदी के जाला के बीच स्थित है उसे महाकाली कहते हैं जानिए इस मंदिर के रहस्य

India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 29, 2017 15:20 IST
 jwalamukhi devi temple - India TV Hindi
jwalamukhi devi temple

धर्म डेस्क: नवरात्र का पर्व शुरु हो गया है। हर मां के मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ लगी हुई है। मां के 52 अवतार की अपनी ही कहानी और चमत्कार है। इन्हीं में से एक है ज्वालामुखी मंदिर। हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिले में कालीधर पहाड़ी पर स्थित है।

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यह तीर्थ स्थल देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ को ज्वालामुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को प्रमुख शक्ति पीठों में एक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जिह्वा गिरी थी।

ज्वालामुखी मंदिर का यह मंदिर अपने आप पर अनोखा है, क्योंकि हां पर माता की कोई भी मूर्ति नहीं है बल्कि धरती के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा की जाती है। इन नौ ज्वालाओं जो चांदी के जाला के बीच स्थित है उसे महाकाली कहते हैं। अन्य आठ ज्वालाएं अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।

मां के इस मंदिर का सबसे पहले निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था। बाद में सन् 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद्र ने करवाया था। ये मंदिर अपने आप पर अनोखा है। इसकी इतनी प्रसिद्धि थी कि अखबर के कानों तक पंहुची।

जिसके कारण अखबर नें भी मां की परीक्षा ली, लेकिन मां के चमत्कार के आगे वो टिक न सका। जानिए आखिर ऐसा क्या हुआ। साथ और कुछ रोचक बातों के बारें में । जिन्हें जानकर आपके मन में माता के प्रति श्रृद्धा और बढ जाएगी।

जब बादशाह अखबर गए थे हार

इस मंदिर केबारे में एक कथा अकबर और माता के परम भक्त ध्यानु भगत से जुडी है। जिन दिनों भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था, उस समय की यह घटना है। हिमाचल के नादौन ग्राम निवासी माता का एक सेवक ध्यानु भक्त एक हजार यात्रियों सहित माता के दर्शन के लिए जा रहा था। इतना बड़ा दल देखकर बादशाह के सिपाहियों ने चांदनी चौक दिल्ली मे उन्हें रोक लिया और अकबर के दरबार में ले जाकर ध्यानु भक्त को पेश किया।

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