- अमरकथा गुफा की ओर जाते हुए वह सर्वप्रथम पहलगाम पहुंचे, जहां उन्होंने अपने नंदी का परित्याग किया। उसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया। शेषनाग नामक झील पर पहुंच कर उन्होंने गले से सर्पों को भी उतार दिया। प्रिय पुत्र श्री गणेश जी को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ देने का निश्चय किया। फिर पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर शिव भगवान ने पांचों तत्वों का परित्याग किया।
- माता पार्वती के साथ ही अमरत्व का रहस्य शुक (तोता) और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था। यह शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए, जबकि गुफा में आज भी कई श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है।
- किंवदंती के अनुसार रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में पधारते हैं। रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन ही छड़ी मुबारक भी गुफा में बने हिम शिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है।
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