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महाकाल पर आया ‘महासंकट’: घटते शिवलिंग का खुला राज, भस्‍म आरती और खतरे में शिवलिंग?

महाकाल पर महासंकट आ गया है। महादेव के शिवलिंग पर उन्हीं के भक्तों के कारण बड़ा खतरा मंडरा रहा है। 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन के महाकाल के शिवलिंग का आकार धीरे-धीरे छोटा हो रहा है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 12, 2017 17:06 IST
mahakaleshwar- India TV Hindi
mahakaleshwar

उज्जैन: महाकाल पर महासंकट आ गया है। महादेव के शिवलिंग पर उन्हीं के भक्तों के कारण बड़ा खतरा मंडरा रहा है। 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन के महाकाल के शिवलिंग का आकार धीरे-धीरे छोटा हो रहा है। कहा जा रहा है ये सब हो रहा है भस्म आरती और पंचामृत की वजह से। महाकाल के घटते स्वरूप पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी चिंता जाहिर की है और जांच के लिए एक टीम गठित की है। इस टीम ने हाल ही में उज्जैन जाकर महाकाल मंदिर की जांच की। महाकालेश्वर की फोटोग्राफी की और महाकाल को चढ़ने वाले प्रसाद के सैंपल भी लिए।

ज्योतिर्लिंग पर सबसे बड़ा खतरा

उज्जैन में महाकाल की भस्मआरती का अलौकिक नजारा होता है, जो भी महाकाल की भस्मआरती देख लेता है शिवमय हो जाता है। देश के कोने कोने से लोग आरती का हिस्सा बनने के लिए आते हैं। यहीं नहीं बाबा का रुद्राभिषेक, पंचामृत से स्नान और अभिषेक देखने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। अब महाकाल की भस्म आरती पर महासंकट मंडरा रहा है। अब एक ऐसी ख़बर आई है जिसे सुनकर शिव भक्त परेशान हैं। इस संकट से देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट तक की नींद उड़ गई है। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर  का क्षरण हो रहा है यानि वो धीरे-धीर घिसकर आकार में कम होता जा रहा है।

भस्म आरती और खतरे में भोलेनाथ

शिवलिंग के ऊपर पर छोटे-छोटे कई निशान बन गये हैं, ये हाल शिवलिंग के दूसरी तरफ भी है। धीरे-धीरे इस तरह के निशान पूरे शिवलिंग पर दिखने लगे। कहीं कहीं तो शिवलिंग की कुछ परत भी उतरी हुई नजर आ रही है।

12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल बाबा महाकाल मंदिर में शिवलिंग पर श्रद्धालुओं द्वारा पंचामृत, दूध, जलाभिषेक, हल्दी-कुंकू, अबीर, गुलाल लगाने, पूजन-अर्चन के दौरान शिवलिंग को हाथ से रगड़ने सहित तमाम कारणों से शिवलिंग के क्षरण होने की बात सामने आ रही थी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए एक टीम गठित की। इस टीम को महाकाल मंदिर के स्ट्रेक्चर और ज्योतिर्लिंग के क्षरण का जिम्मा सौंपा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देहरादून, भोपाल और इंदौर की 4 सदस्यीय टीम उज्जैन पहुंची और जांच शुरू की।

शिवलिंग के एक-एक हिस्से की टीम ने जांच

  • टीम ने ज्योतिर्लिंग की गोलाई और ऊंचाई का माप लिया
  • टीम के सदस्यों ने ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक के समय निरीक्षण किया
  •  इसके बाद शिवलिंग को सुखाकर भी जांच की गई
  • ज्योतिर्लिंग के निचले भाग में दिखाई देने वाले छिद्रों की फोटाग्राफी भी कराई
  • ज्योतिर्लिंग पर जमी श्रृंगार सामग्री के नमूने भी जांच के लिए साथ ले गए

अभी तो जांच टीम अपने साथ कुछ सैंपल लेकर गई है जिनकी जांच देहरादून की लैब में होगी। टीम लगातार उज्जैन आती रहेगी ताकि शिवलिंग में हो रहे बदलाव की जांच करेगी उसके आकार में कोई परिवर्तन हुआ है उसका पता चल सके। जांच टीम ने सिर्फ शिवलिंग की ही जांच नहीं की बल्कि टीम ने तीन घंटे तक मंदिर परिसर में घूमें। यहां बने छोटे प्राचीन मंदिरों, इनकी दीवारों, शिखरों, मूर्तियों सहित कोटितीर्थ कुंड व शिखर के ऊपर जाकर एक-एक चीज का निरीक्षण किया। चार हफ्तों में टीम को अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी है। हाल ही में विद्धत परिषद की हुई बैठक में शिवलिंग के क्षरण होने का मुद्दा उठा था। बैठक में कहा गया था कि महाकाल के श्रृंगार में इस्तेमाल में होने वाली भांग की वजह से शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। हालांकि कुछ ज्योतिषाचार्य इस बात से इतेफाक नहीं रखते हैं।

घटते शिवलिंग का खुला राज़

महाकाल मंदिर में हर रोज सुबह चार बजे से भस्म आरती शुरू होती है जो सुबह छह बजे तक चलती है। इस दौरान महाकाल को जल और पंचामृत से स्नान करवाया जाता है। इसके अलावा दिन में पांच बार महाकाल का श्रंगार किया जाता है। साथ ही श्रद्धालु भी अपनी आस्था के मुताबिक ज्योतिर्लिंग पर जल और पंचामृत चढ़ाते हैं। भक्तों की मान्यता है कि पंचामृत चढ़ाने से उन पर बाबा की कृपा होती है। पंचामृत में दूध, दही और घी के साथ दूसरी सामग्री जैसे चावल, रोली मिली होती हैं। आजकल दूध दही और घी में मिलावट होती है साथ ही चढ़ाई जाने वाली दूसरी सामग्री भी अशुद्ध मिलती है। जानकारों के मुताबिक मिलावटी सामग्री से बने पंचामृत को चढ़ाए जाने से ही महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को नुकसान पहुंच रहा है।

देखिए वीडियो-

सवाल आस्था से जुड़ा है इसलिए ज्योतिर्लिंग के वास्तविक स्वरूप को बचाना भी मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी है। ऐसे में जरूरी है कि वो तमाम कदम उठाए जाए जिससे शिवलिंग का क्षरण ना हो।

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