धर्म डेस्क: शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी मां भगवती का अपमान करता है। उसे वह किसी न किसी तरह सजा जरुर देती है। चाहे वो प्रत्यक्ष रुप में हो या फिर अप्रत्यक्ष रुप में हो। इन्हीं में से एक है महिषासुर राक्षस। जिसका वध स्वंय मां दुर्गा ने किया। महिषासुर के वध के बारें में हम कई कहानियों सदियों से सुनते चले आ रहे है। जानिए आखिर मां भगवती ने महिषासुर का वध क्यों किया।
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कौन था महिषासुर
रम्भासुर का पुत्र था महिषासुर, जो अत्यंत शक्तिशाली था। इसकी उत्पत्ति पुरुष और महिषी (भैंस) के संयोग से हुई थी इसीलिए उसे महिषासुर कहा जाता था। उसने अमर होने की इच्छा से ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए बड़ी कठिन चतपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर महिषासुर से कहा “मांगो जो वर मांगना चाहते हो, मैं तुम्हारी हर मनोकामना पूर्ण करूंगा”।
महिषासुर, जो सिर्फ अमर होना चाहता था, ने ब्रह्मा जी से कहा कि उसे अमरता का वरदान दें। लेकिन ब्रह्मा जी ने यह कहकर उसकी बात टाल दी कि जन्म के बाद मृत्यु और मृत्यु के बाद जन्म निश्चित है, इसलिए अमरता जैसी कोई बात अस्तित्व नहीं रखती।
ब्रह्मा जी की बात सुनकर महिषासुर ने उनसे कहा “ठीक है, अगर मृत्यु होना तय है तो मुझे ऐसा वरदान दो कि मेरी मृत्यु किसी स्त्री के हाथ से हो, कोई दैत्य, मानव या देवता, कोई भी मेरा वध ना कर पाए”। ब्रह्मा जी “एवमस्तु” कहकर अंतर्ध्यान हो गए।
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