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सर्वधर्म सम्मेलन: स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा- धर्म की राह पर चलकर सुखी रहें...

ज्योतिष पीठ, बदरीनाथ के स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि बिना धर्म के कोई भी कार्य संभव नहीं है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : June 09, 2020 14:25 IST

इस समय पूरा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है। इस संकट की घड़ी में आस्था जगाने और जीवन को अनवरत आगे बढ़ाने के प्रयास में इंडिया टीवी कई धर्मों के महागुरुओं के साथ 'सर्वधर्म सम्मेलन' कर रहा है। इस महाआयोजन में 20 महागुरुओं की संतवाणी सुनने का मौका मिलेगा। इनमें स्वामी वासुदेवानंद भी शामिल हुए। वो बड़े धर्मगुरु और गंगा महासभा के संरक्षक भी हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के प्रकोप से कैसे बचा जा सकता है। इस समय मंदिर जाना चाहिए या नहीं। 

ज्योतिष पीठ, बदरीनाथ के स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा- 'बिना धर्म के कोई भी कार्य संभव नहीं है। मनुष्य में धर्म होना उसका स्वभाव है। जहां तक हो शारीरिक और मानसिक पवित्रता जरूरी है। एक-दूसरे से स्पर्श ना हो। उससे हम कोरोना से बचाव कर सकते हैं। हमारे यहां पहले भी इस पर विचार किया जाता था। आज कोरोना ने सिद्ध कर दिया कि मनुष्य को एक-दूसरे से इतना स्पर्श नहीं करना चाहिए।'

मंदिरों के कपाट खुलने के बाद लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें! हिंदू धर्म क्या कहता है कि मंदिर जाना जरूरी है या फिर घर पर पूजा हो सकती है? इस पर स्वामी वासुदेवानंद ने कहा- घर में पूजा करना जरूरी है, लेकिन मंदिर में भी जाना हमारी प्राचीन पद्धति है और परंपरा है। हमें मंदिर जाना चाहिए, लेकिन दूरी बनाकर। जहां तक हो, दूसरों को मत छुएं। भगवान को प्रणाम करें। दर्शन करने वाले एक-दूसरे से दूरी बनाए रखें। इस प्रकार से मंदिर जा सकते हैं।'

इस संकट काल में आपका जीवन कितना बदला है? इसके जवाब में स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा- केवल हमारी धर्म यात्राएं बंद हो गई हैं। बाकि नित्य नियम, पूजा पाठ पहले भी चलता था और आज भी चलता है। हम एकांत में आत्मचिंतन करते हैं।

स्वामी ने बहुत सारे लोगों को भोजन भी कराया। हिंदू धर्म में इसको लेकर क्या कहा गया है? उन्होंने कहा- ये मानवता का एक दर्शन है। लोगों की दशा को देखकर हृद्य द्रवित होता है तो ऐसे मार्गदर्शन करना पड़ता है। धर्म तो सभी के लिए कहता है कि सभी सुखी और निरोग रहें। ये हमारे यहां की परंपरा है। जो दुखियों को भोजन कराता है, ये बहुत बड़ा दान है, जो सभी को करना चाहिए।

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