राम जन्म भूमि पूजन के शुभ अवसर पर स्वामी रामदेव ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की। इस बातचीत के दौरान स्वामी रामदेव ने योग और आधात्म से कैरे भगवान राम जैसा मर्यादा पुरुषोत्म बन सकते हैं इसके बारे में बताया।
स्वामी रामदेव ने कहा- 'जय श्री राम के साथ आज हम लोग राम राज्य और राम का मंदिर जिस की कल्पना सब भारतीयों के मन में कई साल से हिलोरे ले रही थी आज वो शुभ घड़ी है। आज हम लोग अपनी आंखों से वो शुभ घड़ी देख पाएंगे। वो हमारे पूर्वज है। वो इस धरती पर माता कौशल्या की कोख से जन्मे थे। वो कौशल्या के भी राम है, वो अयोध्या के भी राम है, वो शबरी के भी राम है और अहिल्या के भी राम है।'
रामदेव ने आगे कहा कि राम जैसा चरित्र हमारे अंदर कैसे आए इसके लिए जरूरी है राम। भगवान राम बचपन में वशिष्ठ और विश्वामित्र के गुरुकुल में पढ़ने गए थे। मैं भी गुरुकुल में पढ़ा हूं। मुझे लगता है गुरुकुल ही इस प्रतिष्ठा की बुनियाद है। स्वामी रामदेव ने कहा कि योग करना बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान राम खुद गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र के गूरुकुल में योग, प्राणायाम, ध्यान मुद्रा और धनुर विद्या भी वही पर रहकर सीखी थी। इसलिए राम जैसी मर्यादाओं में रहने के लिए हमें पहले की गुलामी शिक्षा से उबरने की जरूरत है।
इन्होंने कहा कि मेरी इच्छा है कि मैं बहुत बड़ा गुरुकुल अयोध्या में बनाऊं जैसे गुरुकुल में भगवान राम ने अपनी शिक्षा ली थी। इस गुरुकुल में सभी वेद , उपनिषद की शिक्षा विद्यार्थियों को मिले। स्वामी रामदेव ने कहा कि अगर भगवान राम जैसा दिव्य चरित्र चाहिए तो उसके लिए योग और आध्यात्म करना बहुत जरूरी है।