13 सितंबर सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर सूर्यदेव उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 26 सितंबर को पूरा दिन पार कर रात 12 बजकर 29 मिनट तक यहीं पर रहेंगे। 27 नक्षत्रों में से ये बारहवां नक्षत्र है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी स्वयं सूर्यदेव ही है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह चारपाई के पिछले दो पायों को माना जाता है। कुछ दिनों के अंतराल पर सूर्य एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, जिसका असर पृथ्वी पर रहने वाले लोगों पर भी पड़ता है। सूर्यदेव के इस स्थिति के बदलाव से विभिन्न नक्षत्र वाले लोगों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से।
उत्तराफाल्गुनी हस्त या चित्रा नक्षत्र में जन्में लोग
जिन लोगों का जन्म उत्तराफाल्गुनी हस्त या चित्रा नक्षत्र में हुआ हो और जिन लोगों के नाम का पहला अक्षर प, ठ, या र हो, उन लोगों को 26 सितंबर तक फायरयानी अग्नि से संबंधित चीज़ों को और साथ ही इलैक्ट्रिकल चीज़ों को भी संभलकर यूज़ करना चाहिए । अगर आप नया घर बनाने की सोच रहे हैं, तो 26 सितंबर तक के लिये ये प्लान टाल देना अच्छा होगा। अपने घर की खिड़की, दरवाजे खोलकर रखें, ताकि घर में सूर्यदेव का उचित प्रकाश बना रहे। इस प्रकार सूर्यदेव की कृपा से अशुभ स्थिति से बचाव होगा , और आप को शुभ फल प्राप्त होंगे |
स्वाती, विशाखा और अनुराधा नक्षत्र में जन्में लोग
ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ हो और जिनका नाम त, य, न अक्षर से शुरू होता हो, उन लोगों को 26 सितंबर तक कुछ बोरियत महसूस होगी । इस दौरान आपके काम कुछ धीमी गति से होंगे, जिससे आपके जीवन की गाडी कुछ थम-थमकर चलेगी। अतः इस दौरान अपने जीवन को गति देने के लिये आप रात को सोते समय अपने सिरहाने पांच बादाम रखकर सोएं और अगले दिन उन बादाम को किसी मन्दिर या धर्मस्थल पर दान कर दें। इससे आपके जीवन की थमी हुयी गाडी को चलने के लिये सहारा मिलेगा।
मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, या श्रवण नक्षत्र में जन्में लोग
जिन लोगों का जन्म मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, या श्रवण नक्षत्र में हुआ हो और जिनके नाम का पहला अक्षर य,भ, ध, फ, ज, ख हो, उन लोगों के जीवन में 26 सितंबर तक स्टेबिलिटी बनी रहेगी। इस दौरान आप जो भी काम करेंगे, वो लंबे समय के लिये स्टेबल होंगे । अतः अपने काम की स्टेबिलिटी को बनाये रखने के लिये घर में पीतल के बर्तन का इस्तेमाल करें।
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धनिष्ठा, शतभिषा, या पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्में लोग
जिन लोगों का जन्म धनिष्ठा, शतभिषा, या पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में हुआ हो , या जिनके नाम का पहला अक्षर ग, स, दहो, उन लोगों को 26 सितंबर तक खूब सारी लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। आपके धन संग्रह में अचानक से बढ़ोतरी हो सकती है। इस स्थिति को सुनिश्चित करने के लिये और देवी लक्ष्मी की कृपा अपने ऊपर बनाये रखने के लिये घर से बाहर निकलते समय या कोई खास काम शुरू करने से पहले संभव हो तो थोड़ा मीठा खाकर, पानी पीएं या केवल पानी पीएं। इससे आपके ऊपर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।
उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी, या भरणी नक्षत्र में जन्में लोग
जिन लोगों का जन्म उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी, या भरणी नक्षत्र में हुआ हो और जिनका नाम द, च, ल अक्षर से शुरू होता हो, उन लोगों को अपने जीवन में 26 सितंबर तक अप्रतिम लाभ देखने को मिलेंगे। आपको अचानक से बहुत सारे लाभ के अवसर मिलेंगे। अतः इस स्थिति को बरकरार रखने के लिये मन्दिर में बाजरा दान करें और कुत्ते को रोटी डालें। इससे आपको मिलने वाले लाभ सुनिश्चित होंगे।
कृत्तिका, रोहिणी, या मृगशिरा नक्षत्र में जन्में लोग
जिन लोगों का जन्म कृत्तिका, रोहिणी, या मृगशिरा नक्षत्र में हुआ हो और जिनके नाम का पहला अक्षर अ इ उ ए व, क, हो, उन लोगों के जीवन में कुछ परेशानी आ सकती है। घर के मुखिया को कुछ कष्ट उठाना पड़ सकता है। अतः 26 सितंबर तक इस परेशानी से बचने के लिये किसी जरूरतमंद को भोजन खिलाएं और पक्षियों को दाना डालें।
आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य या आश्लेषा नक्षत्र में जन्में लोग
आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य या आश्लेषा नक्षत्र में जन्में लोगों के जीवन में कई परेशानियां उत्पन्न हो सकती है। अतः इस स्थिति से बचने के लिये और जीवन में बेहतरी लाने के लिये मन्दिर में सूखा नारियल या नारियल का तेल दान करें। साथ ही ध्यान रहे इस दौरान किसी से दान में कोई भी वस्तु न लें। अगर गलती से या मजबूरी वश लेनी पड़ जाये, तो 26 सितंबर तक उसका इस्तेमाल करने से बचे रहें। इससे आपको परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।