धर्म डेस्क: आज शाम यानी कि 6 बजकर 13 मिनट पर सूर्यदेव कृतिका नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। जो कि 25 मई की दोपहर 2 बजकर 21 मिनट तक यहीं पर रहेंगे। सूर्यदेव के कृतिका नक्षत्र में इस प्रवेश से विभिन्न नामाक्षर और नक्षत्र वाले लोगों पर भी प्रभाव होगा, उन्हें इस दौरान अलग-अलग फलों की प्राप्ति होगी। तो किस नामाक्षर और नक्षत्र वाले लोगों को सूर्यदेव के कृतिका नक्षत्र में प्रवेश से क्या फल मिलेंगे और उस स्थिति में शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये और अशुभ फलों से बचने के लिये क्या उपाय करने चाहिए। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से...
सूर्यदेव जब भी किसी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं और जब तक वहां उपस्थित रहते हैं, उस समयावधि के दौरान प्रत्येक नक्षत्र के हिसाब से कुछ महत्वपूर्ण कार्य करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। उदाहरण के लिये जब सूर्यदेव आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो उस दौरान बांस का पेड़ लगाना बड़ा ही शुभ फलदायी होता है। ठीक उसी तरह कृतिका नक्षत्र का भी अपना एक अलग महत्व है।
कृतिका नक्षत्र स्वयं सूर्यदेव का नक्षत्र है और सूर्यदेव व्यक्ति के अंदर विवेक को जागृत करते हैं, उसके मनोबल को बढ़ाते हैं। साथ ही सूर्यदेव के प्रमुख तत्वों में एक अग्नि है। अतः कृतिका नक्षत्र के दौरान अग्नि से संबंधित कार्य करना बड़ा ही फलदायी साबित होता है। इस दौरान बड़े-बडे यज्ञ, हवन और अनुष्ठान आदि कराने चाहिए। 11 मई से लेकर 25 मई तक के बीच अग्निवास कब-कब होगा और आप किस दिन अग्नि से संबंधित हवन, यज्ञ आदि प्रारंभ करा सकते हैं, ये सब जानकारी हम आपको आगे देंगे, लेकिन उससे पहले सूर्यदेव के कृतिका नक्षत्र में प्रवेश से विभिन्न नामाक्षर और नक्षत्र वालों पर क्या असर होगा। जानिए इसके बारें में।
कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र में जन्में लोग
जिन लोगों का जन्म कृतिका, रोहिणी या मृगशिरा नक्षत्र में हुआ हो और जिनके नाम का पहला अक्षर ‘अ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ए’, ‘व’ या ‘क’ हो, उन लोगों को 25 मई तक अग्नि से संबंधित चीज़ों जैसे बिजली, गैस-चूल्हा आदि के साथ बड़ी ही सावधानी पूर्वक काम लेना चाहिए। साथ ही अगर आप इस दौरान नया घर बनाने की सोच रहे हैं, तो उसे भी 25 मई तक टालना ही अच्छा होगा। साथ ही 25 मई तक सूर्यदेव की अशुभ स्थिति से बचने के लिये और शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- रात को सोते समय अपने सिरहाने पर 5 बादाम रखकर सोएं और अगले दिन सुबह उठकर सिरहाने पर रखें उन बादाम को किसी धर्मस्थल पर या मन्दिर में दान कर दें। इससे सूर्यदेव की अशुभ स्थिति से आपका बचाव होगा।
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