आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगों से राहरस्म न के बराबर रखते हैं जो उनके स्वभाव के एकदम विपरीत होते हैं। राजनीति और कूटनीति के मर्मज्ञ माने जाने वाले आचार्य चाणक्य ने आम मानवीय स्वभावों पर भी ऐसे विचार दुनिया के सामने रखे हैं जो आज भी यथार्थ के काफी करीब जान पड़ते हैं।
आचार्य चाणक्य ने किन तीन लोगों से फिर वो चाहे स्त्री हों या पुरुष हमेशा दूर रहने की सलाह दी है। आचार्य चाणक्य ने अपनी बात एक श्लोक के जरिए समझाने की कोशिश की है।
श्लोक
मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति।।
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मूर्ख को उपदेश देना
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार किसा भी मूर्ख को उपदेश नहीं देना चाहिए, क्योंकि उनना मानना था कि ऐसा करना बिल्कुल व्यर्थ होता है। उन्होंने ऐसा इस आधार पर कहा था कि बुद्धिहीन व्यक्ति ज्ञान की बातों में भी अपने कुतर्कों को ले आते हैं जिससे ज्ञानी लोगों का कीमती वक्त बरबाद हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहें।
ऐसे लोगों का न करें भरण-पोषण
किसी भी व्यक्ति का पेट भरना, उसका लालन-पालन करना आमतौर पर पुण्य का काम माना जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसी व्यक्ति का भरण पोषण करता है जो बुरे स्वभाव का है, कर्कशा है और वो चरित्रहीन है। क्योंकि लोगों का भरण पोषण करने से भी सुख की प्राप्ति नहीं होती है। चाणक्य का मानना था कि सज्जन पुरुष अगर ऐसी ही ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उन्हें अपयश ही प्राप्ति होती है।
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बेकार में दुखी रहने वाले व्यक्ति
जो व्यक्ति बिना किसी बात के दुखी रहता है तो उससे भी लोगों को दर रहना चाहिए। चाणक्य का कहना था कि कुछ लोग भगवान द्वारा बहुत कुछ दिए जाने के बाद भी हमेशा विलाप करते रहते हैं अपना दुख प्रकट करते रहते हैं, तो ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए। क्योंकि उनके इस तरह विलाप करने से आपके जीवन पर बुरा असर पड़ेगा।
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