धर्म डेस्क: हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है। जिसमें कई रिति-रिवाज, परंपराएं है। जिसे लोग बहुत ही शलीनता के साथ मानते है। लेकिन आज की युवा पीढी़ की बात करें, तो वह इन रीति-रिवाज को नहीं मानते है। उन्हें लगता है कि यह सब अंधविश्वास है। इनका कोई फायदा नहीं है। लेकिन आप ये बात नहीं जानते है कि कोई भी रीति-रिवाज बनाया जाता है तो उससे कोई न कोई फायदा तो जरुर होगा। ये भी पढ़े:(ये है श्री गणेश के 8 चमत्कारी नाम, जिनका स्मरण करने मात्र से बन जाएंगे बिगड़े काम)
आपने भी अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों को खाना खाने से पहले थाली के चारों तरफ तीन बार पानी छिड़कते हुए देखा होगा। इस परम्परा को तमिलनाडु में परिसेशनम और उत्तर भारत में चित्र आहुति के नाम से जानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इसे तरह वे देवताओं के प्रति आदर प्रकट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कुछ लोग चित्र आहुति के समय मंत्रोचार भी करते हैं। योग और आयुर्वेद विशेषज्ञ रवि बताते हैं कि लोग इसे एक धार्मिक क्रिया मानते हैं लेकिन यह उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। जानिए क्यों था इसका महत्व। ये भी पढ़े:(महिलाओं का नाक में नथ पहनने के पीछे क्या है कारण, जानिए)
ये है महत्व
खाने से पहले चारों तरफ पानी छिकड़ने का मतलब था कि पुराने समय में फर्श कच्ची होती थी और लोग ज़मीन पर बैठकर केले के पत्तों पर खाना खाते थे। अगर ज़मीन सूखी हो और कोई व्यक्ति वहां से गुज़रे तो उनके चलने से उठी धूल पत्ते पर आ जाती थी और भोजन गंदा हो जाता था। जबकि थाली के आसपास पानी छिड़कने से वहां की धूल बैठ जाती थी और उड़ती नहीं थी। इस तरह भोजन सुरक्षित रहता था। इसी तरह पानी की वजह से कीड़े और ज़मीन पर चलने वाले जीव थाली में प्रवेश नहीं कर पाते थे। विशेषकर यह तकनीक रात में काफी काम आती थी क्योंकि तब लोगों को कम रोशनी की वजह से ज़मीन पर चलनेवाले कीड़े-मकोड़े दिखायी नहीं पड़ते थे।
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