धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में हर व्रत-त्योहार का अपना ही एक महत्व होता है। हर त्योहार-व्रत का एक शुभ मुहूर्त होता है। इन्हीं में से एक त्योहार है। अक्षय तृतीया का जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि मनाया जाता है।
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यह त्योहार हिंदू धर्म में अधिक महत्व रखता है। साथ ही यह दिन विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह साल भर में होने वाली अबूझ मुहूर्तों में से एक है। इसके अलावा देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी व भड़ली नवमी मानी जाती है। इस बार अक्षय तृतीया 29 अप्रैल, शनिवार को है। जानिए आखिर अक्षय तृतीया इतनी खास क्यों होती है। साथ ही जानिए इसक मनाने के पीछे की मान्यता।
अक्षय तृतीया दान देने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन दान देने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सनातन धर्म में दान-धर्म को अचूक काल माना जाता है। देवी-देवता की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है। इसे कई नामों से जाना जाता है। साथ ही कई महापुरुषों के जन्म से भी जोड़ा जाता है। इसे चिरंजीवी तिथि भी माना जाता है, क्योंकि यह तिथि 8 चिरंजीवियों में एक भगवान परशुराम की जन्म तिथि भी है।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। जिसे जंयती के रुप में मनाया जाता है। इसके साथ ही त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी शुभ तिथि से मानी जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी पुण्यदायी व महामंगलकारी मानी जाती है।
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