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शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करने का विधान है। आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ ही जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है,

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : November 27, 2020 8:05 IST
शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Image Source : INSTAGRAM/MAHADEV_NI_DIWANI_01 शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि द्वादशी और दिन शुक्रवार है। द्वादशी तिथि आज सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगी, उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जायेगी, जो कि कल सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है और अगर त्रयोदशी तिथि पूरा एक दिन पार करके अगले दिन भी हो, तो प्रदोष व्रत उस दिन किया जाता है, जिस दिन प्रदोष काल होता है। प्रदोष काल रात्रि के प्रथम प्रहर, यानि सूर्यास्त के तुरंत बाद के समय को कहते हैं। अतः प्रदोष व्रत आज ही के दिन किया जायेगा। शुक्रवार होने के कारण इसे  शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करने का विधान है। आज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ ही जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है, उसे जीवन में वैभव और सभी सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। साथ ही त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में अप्रतिम लाभ मिलते हैं।

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प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

शुक्रवार सुबह सर्वार्थ सिद्धि योग  रात 12 बजकर 23 मिनट तक है। इस पूरे दिन प्रदोष व्रत किया जा सकता है। राहुकाल का मुहूर्त  सुबह 10 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। प्रदोष व्रत की पूजा सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक किसी भी समय की जा सकती है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर हर कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके साथ ही साफ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प करें। इस दिन कोई आहार न लें। शाम को सूर्यास्त होने के एक घंटे पहले स्नान करके सफेद कपड़े पहन लें। इसके बाद ईशान कोण में किसी एकांत जगह पूजा करने की जगह बनाएं। इसके लिए सबसे पहले गंगाजल से उस जगह को शुद्ध करें फिर इसे गाय के गोबर से लीपें। इसके बाद पद्म पुष्प की आकृति को पांच रंगों से मिलाकर चौक तैयार करें। आप कुश के आसन में उत्तर-पूर्व की दिशा में बैठकर भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव का जलाभिषेक करें साथ में ऊं नम: शिवाय: का जाप भी करते रहें। इसके बाद विधि-विधान के साथ शिव की पूजा करें फिर इस कथा को सुन कर आरती करें और प्रसाद बाटें।

अब केले के पत्तों और रेशमी वस्त्रों की सहायता से एक मंडप तैयार करें। आप चाहें तो आटे, हल्दी और रंगों की सहायता से पूजाघर में एक अल्पना (रंगोली) बना लें। इसके बाद साधक (व्रती) को कुश के आसन पर बैठ कर उत्तर-पूर्व की दिशा में मुंह करके भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। व्रती को पूजा के समय 'ॐ नमः शिवाय' और शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए।

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