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इस शुभ मुहूर्त में करें मां लक्ष्मी की पूजा, जानिए कैसे करें पूजा

दीपोत्सव के दौरान अलग-अलग दिन शुभ योग और संयोग बनेंगे, जो लोगों के जीवन में समृद्धि लाएंगे। पंच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत 28 अक्टूबर से होगी, जो एक नवंबर भाईदूज के साथ समाप्त होगा। जानिए शुभ-मुहूर्त और पूजा विधि।

India TV Lifestyle Desk
Updated : October 30, 2016 6:55 IST

DIWALI

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ऐसें करें कलश पूजन
ऊं कलशस्य मुखे विष्णु: कंठे रुद्र: समाश्रित:।
मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणा: स्मृता:।।

इसके बाद तिजोरी या रुपए रखने के स्थान पर स्वास्तिक बनाएं और यह श्लोक पढ़ें-

मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ध्वज: मंगलम् पुंडरीकाक्ष: मंगलायतनो हरि:।

ऐसें करें नवग्रहों का पूजन
सबसे पहले एक चौक में नौ ग्रह बना लें या फिर उनकी तस्वीर रक लें। इसके बाद हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। इसके बाद हाथ में चावल और फूल लेकर नवग्रह का ध्यान करते हुए इस मंत्र को बोले-

ओम् ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: सर्वे ग्रहा: शान्तिकरा भवन्तु।।
नवग्रह देवताभ्यो नम: आहवयामी स्थापयामि नम:।

ऐसें करें षोडशमातृका पूजन
इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। इसके लिए हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प लें और सोलह माताओं को नमस्कार कर करके  सभी पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए।

गौरी पद्मा शची मेधा सावित्री विजया जया।
देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोकमातर:
धृति पुष्टिस्था तुष्टिरात्मन: कुलदेवता।
घणेशेनाधिका ह्येता वृद्धौ पूज्याच्श्र षोडश।।

सोलह माताओं की पूजा के बाद मौली लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाए और फिर अपने हाथ में बंधवा कर तिलक लगा लें। इसके बाद महालक्ष्मी की पूजा करें। गणेशजी, लक्ष्मीजी व अन्य देवी-देवताओं का विधिवत षोडशोपचार पूजन, श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष सूक्त का पाठ करें और लक्ष्मी माता और गणेश जी की आरती उतारें। पूजा के बाद मिठाईयां, पकवान, खीर आदि का भोग लगाकर सबको प्रसाद दें।

ऐसें करें माता लक्ष्मी की पूजा
सबसे पहले अक्षत औप फूल हाथों में लेकर माता का ध्यान करें-
सरसिजनियले सरोजहस्ते धवलतमांशुकगंधमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।
ऊं महालक्ष्मै नम: । ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।

फिर हाथ में लिए हुए अक्षत और फूल छोड़ दे। और माता का इस मंत्र के साथ आवाहन करें-
ऊं महालक्ष्म्यै नम: । महालक्ष्मीमावाहयामि, आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।
इसके बाद विधि-विधान से माता की पूजा करने के बाद इस मंत्र के साथ जल अर्पण करें-
कृतानानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीतयाम् न मम।।

अगली स्लाइड में पढ़े पूजा-विधि के बारें में

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