जगन्नाथ मंदिर में उड़ीसा के जगन्नाथ जी की तरह ही रथयात्रा निकाली जाती है। जिसमें एक रथ में भगवान बलराम को बैठाकर पूरें क्षेत्र में घुमाया जाता है। साथ ही शाम को बड़ी ही धूम-धाम से आरती के साथ दुबारा भगवान को उनकी जगह में स्थापित कर दिया जाता है। इस अवसर में क्षेत्र के लोग बहुत ही उत्साहित होकर भगवान की मूर्ति की रथय़ात्रा निकालते है साथ ही हर घर के लोग इनकी पूजा करते है। और चने की दाल, लाई और फल में भोग लगाते है।
इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर में पूरें मंदिर को सजाया जाता है। अर्ध्य रात्रि के समय में शंख और घंटों की गूंज के साथ कृष्ण जन्म किया जाता है और 56 प्रकार के व्यजनों का भोग लगाया जाता है। इस अवसर में सात दिन तक यानी कि भगवान कृष्ण की छठी तक मेला का आयोजन होता है और छठी के दिन इनकी भगवान श्री कृष्ण की छठी भरी जाती है और प्रसाद के रूप में खीर, कढ़ी और चावल दिया जाता है।