सातवं सम मोहि मय जग देखा। मोतें संत अधिक करि लेखा।।
आठवं जथा लाभ संतोषा। सपनेहुं नहिं देखई परदोषा।
सातवी भक्ति-
श्री राम ने शबरी से कहा कि सातवी भक्ति वह है, जो पुरे जगत को देखें तो सिर्फ मै ही दिखूं कोई और न दिखें यानि की राम मय देखें साथ ही जो संत पुरूषों को मेरे ऊप समझ कर सेवा करें अन्ही को मुझसे ज्यादा माने तो वह एक भक्ति है जिससे मैं प्रसन्न होता हूं।
आठवीं भक्ति-
श्री राम ने आठवीं भक्ति में बताया कि आपके पास जो भी है उसी मैं संतोष करें किसी को इस बारें में दोष न लगाए कि तुम्हारी वजह से मैं यह न कर पाया । श्री राम ने बोला कि यहं तक कि सपने में भी किसी पर दोष न लगाएं।
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