धर्म डेस्क: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से लाखों यज्ञों के बराबर का फल मिलता है। जानिए पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा के बारें में।
पुत्रदा एकादशी का मुहूर्त
श्रावण पुत्रदा एकादशी: 22 अगस्त, 2018 (बुधवार)
श्रावण पुत्रदा एकादशी पारणा मुहूर्त: 05:54:16 से 08:30:01 तक
अवधि: 2 घंटे 35 मिनट (Putrada Ekadash Vrat 2018: संतान के लिए उत्तम है ये पुत्रदा एकादशी व्रत, राशिनुसार ये उपाय करना होगा फलदायी)
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
आज के दिन सुबह के समय नहा-धोकर, साफ कपड़े पहनकर पास के किसी शिव मंदिर में जायें और वहां जाते समय अपने साथ दूध, दही, शहद, शक्कर, घी और भगवान को चढ़ाने के लिये साफ और नया कपड़ा ले जायें अब मन्दिर जाकर शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करायें यहां इस बात का ध्यान रखें कि सब चीज़ों को एक साथ मिलाना नहीं है बल्कि अलग-अलग रखना है। अब शिवलिंग पर क्रम से सबसे पहले दूध से, फिर दही से, शहद से, शक्कर से और सबसे अन्त में घी से स्नान करायें और प्रत्येक स्नान के बाद शुद्ध जल शिवलिंग पर चढ़ाना न भूलें। (Bakrid 2018: आखिर बकरीद के दिन क्यों दी जाती है बकरे की 'कुर्बानी', क्या कहता है इस्लाम )
सबसे पहले शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं, उसके बाद शुद्ध जल चढ़ाएं फिर दही चढ़ाएं, उसके बाद फिर से शुद्ध जल चढ़ाएं। इसी तरह बाकी चीज़ों से भी स्नान कराएं। भगवान को स्नान कराने के बाद उन्हें साफ और नये कपड़े अर्पित करें। अब मन्त्र जप करना है
ऊं गोविन्दाय, माधवाय नारायणाय नम.
इस मंत्र का 108 बार जाप करना है और हर बार मन्त्र पढ़ने के बाद एक बेलपत्र भी भगवान शंकर को जरूर चढ़ाएं। भगवान के पूजन के पश्चात ब्राह्मणों को अन्न, गर्म वस्त्र एवं कम्बल आदि का दान करना अति उत्तम कर्म है। यह व्रत क्योंकि शुक्रवार को है इसलिए इस दिन सफेद और गुलाबी रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए। व्रत में बिना नमक के फलाहार करना श्रेष्ठ माना गया है तथा अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। (मंगलवार को करें हनुमान जी के इन मंत्रों का जाप, फिर देखें चमत्कार )
पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा
द्वापर युग में राजा महीजित बहुत धर्मप्रिय और विद्वान राजा था। उसमें एक ही कमी थी कि वह संतान विहीन था। यह कथा उसने अपने गुरु लोमेश जी को बतायी। लोमेश ने राजा के पूर्व जन्म की बात बताए। उन्होनें कुछ ऐसे बड़े पाप पूर्व जन्म में किये थे जिसके कारण उनको इस जन्म में संतान की प्राप्ति नहीं हुई।
लोमेश गुरु जी ने कहा कि यदि वो श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत रहे तो उसको पुत्र की प्राप्ति हो जाएगी। राजा ने कुछ वर्षों तक इस व्रत को लगातार रखा और उनको सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। यह कथा पद्मपुराण में आती है।
इस प्रकार जो भी श्रद्धा पूर्वक इस व्रत को रखता है उसको सुंदर पुत्र की प्राप्ति होती है। इस दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें।