धर्म डेस्क: आज आश्विन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि और सोमवार का दिन है। आज चतुर्दशी तिथि वालों का श्राद्ध किया जायेगा। आज के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हुआ हो।
आज के दिन उन लोगों के भी श्राद्ध कार्य पूर्ण किये जायेंगे, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, यानी जिनकी मृत्यु किसी एक्सीडेंट या किसी शस्त्र आदि से हुई हो। आपको बता दूं कि इस दिन श्राद्ध करने से व्यक्ति को किसी भी अज्ञात भय का खतरा नहीं रहता। जानें आचार्य इंदु प्रकाश से ऐसे कौन से काम है जो श्राद्ध के दिनों में नहीं करना चाहिए। (अकाल मृत्यु और इन पितरों का श्राद्ध करने से मिलेगा आज आपको विशेष लाभ, जानें तर्पण विधि)
- आज के दिन श्राद्ध कार्य दोपहर के समय करना चाहिए। वायु पुराण के अनुसार शाम का समय श्राद्धकर्म निषिद्ध है। क्यूंकि शाम का समय राक्षसों का है।.
- श्राद्ध कर्म अपनी भूमि पर करना श्रेयस्कर होता है। अपनी भूमि पर किया गया श्राद्ध विशेष फलदायी होता है। इसके अलावा किसी पुण्यतीर्थ, मन्दिर या अन्य पवित्र स्थानों पर भी आप श्राद्ध कार्य कर सकते हैं। (Navratri 2018: जानें नवरात्र में किस दिन किस रंग के कपड़ा पहनना होगा शुभ)
- श्राद्धकर्म में संभव हो तो गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए। इसका उपयोग फलदायी माना गया है।
- श्राद्ध में तुलसी और तिल का प्रयोग करना चाहिए। तिल की मात्रा अधिक होने पर श्राद्ध अक्षय हो जाता है। कहते है तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं और इससे पितर देव प्रसन्न होते हैं। आप श्राद्ध के भोजन आदि में भी इनका उपयोग कर सकते हैं।
- श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन जरूर करवाना चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराने से पितर संतुष्ट होते हैं।
- अगर संभव हो तो आज के दिन श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन चांदी के बर्तनों में कराना चाहिए। श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग व दान बड़ा ही पुण्यदायी बताया गया है।
- श्राद्ध में ब्राह्मण भोज के लिये खीर, पूड़ी, सब्जी और अपने पितरों की मनपसंद चीज़ें बनानी चाहिए।
- ध्यान रहे श्राद्ध में ब्राह्मण का खाना एक ब्राह्मण को ही खिलाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि आप किसी जरूरतमंद को खिला दें। श्राद्ध में पितरों की तृप्ति केवल ब्राह्मणों द्वारा ही होती है। अतः श्राद्ध में एक सुपात्र ब्राह्मण को ही भोजन कराएं।
- आज के दिन आपके जिस भी पूर्वज का स्वर्गवास है, उसी के अनुसार ब्राह्मण या ब्राह्मण की पत्नी को निमंत्रण देकर आना चाहिए। जैसे अगर आपके पूर्वज एक पुरुष हैं, तो पुरुष ब्राह्मण को और अगर महिला हैं तो ब्राह्मण की पत्नी को भोजन कराना चाहिए।
- भोजन के लिये ब्राह्मण को आसन पर बिठाएं। आप कपड़े, ऊन, कुश या कंबल आदि के आसन पर बिठाकर भोजन करा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे आसन में लोहे का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए
- ब्राह्मण को खाना खिलाते समय दोनों हाथों से खाना परोसना चाहिए।
- श्राद्ध के लिये बनाये गये भोजन में से गाय, देवता, कौओं, कुत्तों और चींटियों के निमित भी भोजन जरूर निकालें। देखिये कोशिश करके कौओं और कुत्तों का भोजन उन्हें ही कराना चाहिए, जबकि देवता और चींटी का भोजन आप गाय को भी खिला सकते हैं।
- भोजन के बाद ब्राह्मण को अपनी इच्छा अनुसार कुछ दक्षिणा और अगर मुमकिन हो तो कपड़े आदि भी देने चाहिए।
- ब्राह्मण को पूर्ण रूप से संतुष्ट करने के बाद ही घर के बाकी सदस्यों या परिजनों को भोजन कराएं।
- एक ही नगर में रहने वाली अपनी बहन, जमाई और भानजे को भी श्राद्ध के दौरान भोजन कराने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने वाले व्यक्ति के घर में पितरों के साथ-साथ देवता भी प्रसन्नतापूर्वक भोजन ग्रहण करते हैं।
- श्राद्ध के दिन अगर कोई भिखारी या कोई जरूरमंद आ जाये, तो उसे भी आदरपूर्वक भोजन जरूर कराएं।