शीतला अष्टमी व्रत- पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद माता शीतला के मंत्र (श्मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमनपूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्येश्) से व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधि-विधान और सुगंध युक्त फूल आदि से माता शीतला का पूजन करना चाहिए। फिर एक दिन पहले बनाए हुए बासी भोजन, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी आदि का भोग लगाएं। वहीं चतुर्मासी व्रत कर रहे हों तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएं। इसके बाद शीतला स्रोत का पाठ करना चाहिए। यह उपलब्ध न हो तो शीतला अष्टमी की कथा सुनें। रात में जगराता व दीपमालाएं प्रज्जवलित करने का भी विधान है।
ऐसे लगाएं माता शीतला को भोग
मां शीतला की पूजा के लिए महिलाएं 6 जून की रात मां को अर्पित करने वाले और अपने व्रत के पारण के लिए खाए जाने वाले व्यंजन व भोग तैयार करेंगी। इसमें खीर व मीठी रोटी जैसे मीठे भोजन शामिल हैं। वहीं अगले दिन शीतला अष्टमी को उसे भोग के रूप में अर्पित कर बासी भोजन का सेवन करेंगी। वहीं कठोर व्रत करने वाली महिलाएं उस दिन घरों में चूल्हे भी नहीं जलाएंगी। ऐसे में उन घरों में उस दिन बासी भोजन को ही ग्रहण किया जाएगा।