अपने आराध्य देव को स्नान कराकर उन्हें सफेद रंग के सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करें। एक चौकी में एक लोटे में जव भर कर रखें और इलके ऊपर एक कटोरी रखें। फिर लोटे में आटे और हल्दी ले लेप करके स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके बाद पूजा शुरू करें। इसके लिए अंब, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप और दक्षिणा आदि से अपने आराध्य देव का पूजन करें।
इसके साथ ही गाय के दूध से बनी खीर में घी तथा चीनी मिलाकर पूरियां बनाएं और अर्द्धरात्रि के समय भगवान का भोग लगाएं। इसके बाद कथा सुनें।
ऐसे सुने कथा
व्रत सुनने से लिए एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं। फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें। इसके बाद गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव का स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। साथ ही जो लोटे में जल है उसे रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद खीर का भोग लगाकर चांड की रोशनी में रख दें और दूसरें दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में खाएं।
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