नई दिल्ली: वैसे तो हर माह पूर्णिमा होती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व कुछ और ही है। इस बार शरद पूर्णिमा 26 अक्टूबर, दिन सोमवार को है। हिंदू पुराणों के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिंमा की रात को चांद पूरी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक है। जानिए शरद पूर्णिमा इतनी खास क्यों है। इस दिन क्या होता है।
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- शरद पूर्णिमा से जुड़ी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत टपकता है। जो आपकी सेहत के लिए लाभकारी है। इस दिन लोग अपने घरों की छत में खीर बना कर रखते है। जिससे चांद की किरणें खीर पर पड़े जिससे वह अमृतमयी हो जाए। इसको खानें से न जाने कितने बड़ी-बड़ी बीमारियों से निजात मिल जाता है। कही-कही पर इस दिन सार्वजनिक रूप से खीर वितरित भी की जाती है।
- धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन श्री कृष्ण गोपियों के साथ रास लीला भी करते है। साथ ही माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय भ्रमण में निकलती है यह जानने के लिए कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है। उसी के अनुसार मां लक्ष्मी उनके घर पर ठहरती है। इसीलिए इस दिन सभी लोग जगते है । जिससे कि मां की कृपा उनपर बरसे और उनके घर से कभी भी लक्ष्मी न जाएं।
- अगर शरद पूर्णिमा को वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से देखा जाए तो माना जाता है कि इस दिन से मौसम में परिवर्तन होता है और शीत ऋतु की शुरूआत होती है। इस दिन खीर खानें को माना जाता है कि अब ठंड का मौसम आ गया है इसलिए गर्म पदार्थों का सेवन करना शुरु कर दें। ऐसा करने से हमें ऊर्जा मिलती है।
- शरद पूर्णिमा का चांद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसका चांदनी से पित्त, प्यास, और दाह दूर हो जाते है। दशहरे से शरद पूर्णिमा तर रोजाना रात में 15 सो 20 मिनट तक चांदनी का सेवन करना चाहिए। यह काफी लाभदायक है। साथ ही चांदनी रात में त्राटक करने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ेगी। साथ ही इसी दिन वैद्य लोग अपनी जडी-बूटी और औषधियां इसी दिन चांद की रोशनी में बनातें है। जिससे यह रोगियों को दुगुना फायदा दें।
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