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17 साल बाद शरद पूर्णिमा 2017 में बन रहा है अद्भुत संयोग, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

17 साल बाद ऐसा होगा जब शरद पूर्णिमा में अद्भुद संयोग बन रहा है। इस दिन सवार्थ सिद्ध और यायीजयद योग बन रहा है। जिसके कारण इस दिन पूजा करना बहुत ही माना जा रहा है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा के बारें में...

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated : October 04, 2017 12:36 IST
MOON
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धर्म डेस्क: 17 साल में पहली बार होगा जब शरद पूर्णिमा 2 अद्भुत संयोग में मनेगी। जी हां इस बार शरद पूर्णिमा में सवार्थ सिद्ध योग और यायीजयद योग सोलह कला से पूर्ण होकर अमृत बरसाएगा।

अश्विन माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 17 कलाओं से परिपूर्ण होता है। जिसमें रात के समय खीर को खुले आसमान में रखना चाहिए और इसे सुबह प्रसाद के रुप में गर्ङण करना शुभ माना जाता है।

सवार्थसिद्ध योग  रात 8 बजकर 50 मिनट से शुरु होकर  दूसरे दिन की रात 12 बजे तक रहेगा।  वहीं यायीजयद योग  सुबह 5 बजकर 55 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगा

आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि इस दिन चंद्रमा प्रथ्वी के सबसे निकट होता है। जानिए इस दिन कैसे करें पूजा साथ ही जानें शुभ मुहूर्त।

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

इस दिन आप अपने इष्ट देव की पूजा करें, तो आपको महान कृपा मिलेगी। इसके साथ ही महालक्ष्मी की भी पूजा करने का प्रावधान है।

माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने उल्लू में सवार होकर प्रथ्वी का भ्रमण करती है। वह देखती है कि कौन रात में जगकर उनकी उपासना कर रहा है। जिसके बाद ही वह अपनी कृपा उनकर बरसाती है। इसलिए इस दिन रात में जगकर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

शरद पूर्णिमा की रात को धन-संपत्ति के लिए चंद्रमा को अर्ध्य दे। उसके बाद भजन करें। जिससे कि आपके ऊपर भगवान चंद्रमा की कृपा बनी रहे।

शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का मुहुर्त:
सिद्धि मुहुर्त: रात 5 बजकर 57 मिनट से रात 7 बजकर 49 मिनट तक।
अमृत मुहुर्त: रात 7 बजकर 50 मिनट से रात 9 बजकर 17 मिनट तक।

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