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शुंभ-निशुंभ का वध करके मां दुर्गा ने यहीं किया था विश्राम, जानिए मशहूर दुर्गाकुंड मंदिर की कहानी

वाराणसी का दुर्गाकुंड मंदिर एक भव्य विशाल मंदिर है। इस मंदिर का महत्व नवरात्र में और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 09, 2021 14:48 IST
durga kund- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV दुर्गा कुंड, वाराणसी 

काशी को भोले नाथ की नगरी कहा जाता है। लेकिन भगवान शिव के अलावा यहां मां दुर्गा का भी एक भव्य मंदिर मौजूद है। इसे दुर्गाकुंड मंदिर के नाम से जाना जाता है। गंगा के तट पर बसे वाराणसी के बारे में जब हम बात करते हैं तो भगवान भोलेनाथ के साथ मां दुर्गा को भी याद कर मन ही मन तृप्ति पा लेते हैं। जानिए इस मंदिर के इतिहास के बारे में। 

18 वीं शताब्दी में देवी की भक्त रानी भवानी ने मंदिर का निर्माण किया था। इसकी सबसे बड़ी विशेषता मंदिर परिसर में बना कुंड है। मान्यता है कि इस कुंड का संबंध सीधे मां गंगा से है। लाल पत्थरों से बने इस मंदिर में मां दुर्गा के अलावा लक्ष्मी, सरस्वती, काली और भैरव की भी मूर्ति स्थापित है। 

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माना जाता है मां दुर्गा ने असुर शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद इसी स्थान पर विश्राम किया था। इस मंदिर में नवरात्र के चौथे दिन कूष्माण्डा माता को पूजा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां के दर्शन से सारे पाप भस्म हो जाते हैं। 

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