Thursday, November 28, 2024
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10 साल बाद अमावस्या को बन रहा है ऐसा शुभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त

आषाढ़ मास में शनिवार के दिन अमावस्या का आना 10 साल बाद हुआ है। 24 जून को यह शुभ दिन आएगा। इससे पूर्व 2007 में ये योग बना था, भविष्य में 17 साल बाद यानी 2034 में ये योग दोहराया जाएगा। जानिए शुभ मुहूर्त और क्या दान दें।

India TV Lifestyle Desk
Updated : June 23, 2017 10:03 IST
lord shani- India TV Hindi
lord shani

धर्म डेस्क: आषाढ़ मास में शनिवार के दिन अमावस्या का आना 10 साल बाद हुआ है। 24 जून को यह शुभ दिन आएगा। इससे पूर्व 2007 में ये योग बना था, भविष्य में 17 साल बाद यानी 2034 में ये योग दोहराया जाएगा। शनिवार के दिन पड़ने की वजह से इसे शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या कहा गया है। इस दिन तीर्थ पर स्नान, दान करने से बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार शनिश्चरी अमावस्या 24 जून, शनिवार को है।

शनिवार के दिन अमावस्या का पड़ना कई कारणों से काफी जरुरी होती है। शनि ग्रह को सीमा ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता के अनुसार जहां पर सूर्य का प्रभाव खत्म हो जाता है वहीं से शनि का प्रभाव शुरू होता है।

हर माह की अमावस्या श्राद्ध की अमावस्या कही जाती है। इस दिन पितरों के लिए अर्पण किया गया दान अगर ब्राह्मण को दिया जाए तो यह बहुत शुभ होता है। इस बार शनिवार पड़ जाने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है। इस अमावस्या को पर विद्वान अपने-अपने तरीके से इसको बताता है।

अमावस्या के दिन पितरों की पूजन का दिन है और शनिवार शनि ग्रह शांत करने का दिन है। इस तरह आज शनि- अमावस्या का पूजन आप साथ-साथ कर सकते है। इस दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाते हुए शनि देव का ध्यान करते है। इसी तरह पितरों को भी दूध और काले तिल आदि से पूजन करते है। जानिए इसका महत्व, कथा और यह पूजा कैसे करनी चाहिए।

जिन जातकों की कुण्डली में पितर दोष, कालसर्प दोष एवं शनि प्रकोप हो, जिनके घर में हर समय कलह कलेश हो, घर का कोई सदस्य असाध्य रोग से पीडि़त हो,जिनके बच्चों के विवाह आदि में बिना वजह देरी हो रही हो अथवा विवाह आदि में कोई विध्न पड़ रहा हो, जो शनि प्रकोप एवं संतान से पीड़ित हो, जिनके व्यापार में घाटा पड़ रहा हों, उन्हें शनि अमावस पर शनि को प्रसन्न करके उन की कृपा पाने के लिए शनि पूजन अवश्य करना चाहिए।

शुभ मुहूर्त

  • अमावस्या का पुण्यकाल दो दिन यानी कि 23 और 24 जून को रहेगी।
  • अमावस्या की शुरुआत 23 जून सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर 24 जून 8 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में पितृकर्म करना शुभ होगा।

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