इस कारण से लगता है चन्द्र-दोष
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि एक दिन भगवान गणेश चूहे की सवारी करते समय गिर पड़े, तो यह देखकर चन्द्रमा को हंसी आ गई। इस पर गणेश क्रोधित हो उठे और उन्होंने चन्द्रमा को शाप दिया कि अब तुम किसी के देखने के योग्य नहीं रहोगे और किसी ने तुम्हें देख भी लिया, तो वह पाप का भागी होगा। इस शाप से भयभीत और दुखी होकर होकर चन्द्रमा एक तालाब के भीतर कुमुदिनियों के बीच छिप गए. वहीं चन्द्रमा के दर्शन न कर पाने से देव, दानव, गन्धर्व, यक्ष, किन्नर, नाग, मनुष्य सभी विचलित हो उठे। जो कि बाद में देवताओं के अनुनय-विनय और आराधना के पश्चात श्री गणेश प्रसन्न हुए। लेकिन उन्होंने कहा उनका शाप तो वापस नहीं हो सकता है। इसका प्रभाव केवल एक दिन रहेगा, जो भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करेगा वह अभिशप्त होगा और उस पर झूठे चोरी के आरोप लगने का भय रहेगा।
भगवान श्री कृष्ण को लगा था चन्द्र-दर्शन को दोष
मान्यता है कि गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन हो जाने से व्यक्ति पर झूठे आरोप लगते हैं और वह मिथ्या- लांछना और बिना कारण बदनामी का शिकार हो जाता है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण से भूलवश गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन हो गया था। कहते हैं कि उन पर स्यमंतक मणि चुराने का मिथ्या आरोप लगा था और इस वजह से अग्रज बलराम रुष्ट होकर द्वारिका से चले गए। जबकि लोगों में यह समाचार फैल गया कि स्यमन्तक मणि के लोभ में श्रीकृष्ण ने अपने भाई को भी त्याग दिया।
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