सावन 2018: सावन का तीसरा सोमवार बहुत ही महत्व रखता है। इस बार तीसरा सोमवार आज यानी कि 13 अगस्त 2018 को है। आज बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। इस दुर्लभ संयोग में पूजा करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते है। शास्त्रों में बताया जाता है कि अन्य दिनों की अपेक्षा सावन में भक्त और शिव जी के बीच की दूरी कम हो जाती है। जिसके कारण सावन अधिक फलदायी माना जाता है।
मां पार्वर्ती और शिव जी की पूजा एक साथ
आज भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा एक साथ करने से आपके वैवाहिक जीवन में हो रही हर समस्या से निजात मिलेगा। शिवपुराण में बताया गया है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर पत्नी रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। उन्होंने यह भी कहा था जो भी भक्त सच्चे मन से सावन के महीने में संसार की भलाई के लिए पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं मैं पूरी करूंगा। (Hariyali Teej 2018: जानिए कब है हरियाली तीज साथ ही इसके शभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा )
बन रहा है विशेष संयोग
सावन का तीसरे सोमवार के दिन महान शिव योग के साथ पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र है, इस दिन मधुस्रावणी पर्व भी है जिसे सौभाग्य कारक माना गया है। माना जाता है कि शिवयोग में शिव की पूजा से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इतना ही नहीं आज हरियाली तीज भी है। जिसके कारण सावन के इस सोमवार की महिमा और भी बढ़ गई है।
सावन के तीसरे सोमवार की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं। पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें। इसके बाद तांबे के लोटे (पानी का पात्र) में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें। और अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें। विल्बपत्र और जल से भरा लोटा लेकर पास के शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप या भगवान शिव को कोई अन्य मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक के बाद समय होता मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। मंदिर में पूजा करने बाद घर में पूजा-पाठ करें। घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें -
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये'
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें -
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
ध्यान के पश्चात 'ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा ' ॐ शिवाय नमः ' से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें। उसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें।
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