सावन के पावन महीने की शुरुआत 25 जुलाई से हो चुकी है। सावन का महीना 22 अगस्त तक रहेगा। यह महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। सावन का दूसरा सोमवार आज यानी 2 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा की जाएगी। आइए जानते हें सावन के दूसरे सोमवार की पूजा- विधि, मुहूर्त, मंत्र और सामग्री की पूरी लिस्ट के बारे में
दूसरे सोमवार की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठें जाएं और स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में दीपक जलाएं। सभी देवी देवताओं को गंगाजल से अभिषेक करें। शिवलिंग में और भगवान शिव को गंगा जल और दूध चढ़ाएं। भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करें। भगवान शिव को बेलपत्र, दही, शहद, तुलसी अर्पित करें। फिर भगवान शिव को पांच प्रकार के फल चढ़ाए और भोग लगाएं। शिव जी की आरती करें। पूरे दिन सिर्फ सात्विक चीजें ही खाएं। ज्यादा से ज्यादा भगवान शिव का मंत्र जाप करें और अधिक से अधिक भगवान शिव का जाप करें।
सावन सोमवार की लिस्ट
- पहला सोमवार: 26 जुलाई
- दूसरा सोमवार: 2 अगस्त
- तीसरा सोमवार: 9 अगस्त
- चौथा सोमवार: 16 अगस्त
भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री
भगवान शिव की पूजा करने के लिए आपको फुल, पंच फल, पंचमेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती जी की सोलह श्रृंगार के समान की जरूरत पड़ेगी।
सावन सोमवार का महत्व
सावन के सोमवार का अधिक महत्व होता है। सावन पूजा भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को सावन का महीना अतिप्रिय होता है।
भगवान शिव के मंत्र
सावन के हर सोमवार को इन मंत्रों का जाप करना चाहिए ऐसी मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। शिव जी का पंचाक्षर मंत्र: ऊँ नम: शिवाय।।
महामृत्युंजय मंत्र
- ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
- ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
- भगवान शिव के प्रिय मंत्र
- ॐ नमः शिवाय।
- नमो नीलकण्ठाय।
- ॐ पार्वतीपतये नमः।
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
- ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।