हिन्दू पंचांग के अनुसार, शिवरात्रि प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि के दिन पड़ती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं। इस बार सावन शिवरात्रि 6 अगस्त, शुक्रवार को है। चतुर्दशी तिथि 06 अगस्त दिन शुक्रवार शाम को 06 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगी जिसका समापन अगले दिन यानी 07 अगस्त 2021 को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन शिवरात्रि के दिन जो कोई सच्चे मन से व्रत करता है, भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करता है उसकी समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री, व्रत विधि के बारे में।
सावन शिवरात्रि मुहूर्त-
सावन मास चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 06 अगस्त, शाम 06 बजकर 28 मिनट से
सावन मास चतुर्दशी तिथि समाप्त- 07 अगस्त की शाम 07 बजकर 11 मिनट पर
सावन शिवरात्रि पूजा विधि
- सावन शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- घर में मंदिर में दीप जलाकर शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें।
- गंगा जल न होने पर आप साफ पानी से भी भोले बाबा का अभिषेक कर सकते हैं।
- जिनके घर में शिवलिंग नहीं है वो भोले बाबा का ध्यान करें।
- भगवान शिव की आरती करें।
- भगवान शिव के साथ माता पार्वती की आरती भी करें।
- इस दिन अपनी इच्छानुसार भगवान शंकर को भोग लगाएं।
- भगवान को सात्विक आहार का ही भोग लगाएं।
- भोग में कुछ मीठा भी शामिल करें।
शिव पूजा- सामग्री
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
सावन शिवरात्रि व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
- शिवजी की पूजा में सदैव तीन पत्र वाला ही बेलपत्र चढ़ाएं और यह कहीं से कटा-फटा नहीं होना चाहिए।
- शिवजी को कभी भी उबला हुआ या फिर गर्म दूध न चढ़ाएं।
- भगवान शिव की पूजा में अक्षत का प्रयोग करते समय ध्यान रखें।
- शिवरात्रि के दिन काले वस्त्र धारण न करें।
- खट्टी चीजों का सेवन न करें।
- पूरा दिन व्रत कर शाम को भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करें।