श्रावण कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सावन की शिवरात्रि मनाई जाती हैं। आपको बता दें कि वैसे तो हर महीने को मास शिवरात्रि का व्रत रखकर भोले बाबा की पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन इसके अलावा सावन की शिवरात्रि और फाल्गुन मास में पड़ने वाली महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ जलाभिषेक करने से वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। आपको बता दें कि इस साल सावन शिवरात्रि 19 जुलाई को पड़ रही है। जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व।
सावन शिवरात्रि का पूजा मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 19 जुलाई को सुबह 12 बजकर 41 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 20 जुलाई को रात 12 बजकर 10 मिनट तक
निशिता काल पूजा - 20 जुलाई रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट
पारण का समय- 20 जुलाई सुबह 5 बजकर 36 मिनट पर
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सावन शिवरात्रि का महत्व
फाल्गुन महीने के बाद सावन महीने का हर कोई बड़े ही बेसब्री से इंतजार करता हैं। इस दिन भगवान शिव को गंगाजल से जलाभिषेक करना बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की अराधना करता है उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उसे मनचाहा फल प्राप्त हो जाता है।
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ऐसे करें जलाभिषेक
शिवलिंग पर पंचामृत, दूध, दही, शहद, घी, शर्करा, गंगा जल, बेल पत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, गुलाब और नील कमल चढ़ाकर अभिषेक करना चाहिए। गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराते समय पांच मंत्रों का जाप किया जाता हैं। इसके साथ ही दीपक और धूपबत्ती जलाना चाहिए।