श्रावण कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सावन की शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता हैं। सावन की शिवरात्रि में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने के साथ जलाभिषेक करना शुभ माना जाता है। इस बार सावन की शिवरात्रि 19 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से हर दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही अगर आपकी कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष हैं तो जलाभिषेक करने का विशेष लाभ मिलेगा। जानिए जलाभिषेक करने की सामग्री और विधि के बारे में।
जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 19 जुलाई को सुबह 12 बजकर 41 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त - 20 जुलाई को रात 12 बजकर 10 मिनट तक
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जलाभिषेक करने के लिए सामग्री
पंचामृत, दूध, दही, शहद, घी, चंदन, शर्करा, गंगाजल, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, गुलाब, नील कमल , पान, गुड़, दीपक, अगरबत्ती आदि।
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ऐसे करें शिवलिंग का जलाभिषेक
सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद एक-एक करके पंचामृत, दूध, दही, शहद, घी, शर्करा चढ़ाकर फिर गंगाजल से स्नान करा दें। इसके बाद शिवलिंग में चंदन का लेप, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, गुलाब, नील कमल , पान आदि चढ़ा दें। जलाभिषे करते समय भगवान शिव के मंत्र या फिर सिर्फ 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करते रहें। इसके बाद दीपक, अगरबत्ती जलाकर कर आरती कर दें। आरती करने के बाद भगवान शिव के सामने अपनी भूल-चूक के लिए माफी भी मांग लें।
महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकंयजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्।।
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