Sawan Shivratri 2019: आज सावन महीने की शिवरात्रि भी है। यही कारण है कि आज का दिन शिव आराधना के लिए और भी विशेष हो गया है। सावन की शिवरात्रि पर शिव की भक्ति में रमे कांवड़िए कांवड़ के जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और भोलेनाथ भी उनका उद्धार करते हैं। फाल्गुन मास की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। तो वही सावन महीना शिव का सबसे प्रिय है। लिहाज़ा इस पूरे माह शिव से जुड़े सभी दिन और सभी चीज़ें भी विशेष बन जाती हैं। इसीलिए सावन महीने की शिवरात्रि भी अत्यंत शुभ फलदायी मानी जाती है। अगर आज आप ज्यादा ताम झाम ना भी करके केवल एक लोटा जल भी शिवलिंग पर अर्पित कर देंगे तो आपको इसका शुभ फल मिलना तय है। जानें शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
सावन शिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त
निशिथ काल पूजा: 31 जुलाई 2019 को दोपहर 12 बजर 06 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक
पारण का समय: 31 जुलाई 2019 को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक
सावन शिवरात्रि पर जल चढ़ाने का शुभ मुहूर्त
आज का पूरा दिन बहुत ही अच्छा है। आज आप पूरे दिन में किसी भी समय शिवलिंग में जल चढ़ा सकते हैं। इस दिन भोले शंकर का पूजा के लिए दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
सावन शिवरात्रि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन व्रत रखने से हर पाप का नाश होता है। साथ ही मनचाहे वर और वधु की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान शिव की कृपा आपके और परिवार के ऊपर हमेशा बनी रहती है। सावन की शुरुआत होते ही कांवड़िए कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर सावन शिवरात्रि के दिन अपने आराध्य भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करना बेहद पुण्यकारी और कल्याणकारी माना जाता है। माना जाता है कि सावन शिवरात्रि के दिन जो भक्त सच्चे मन से शिव शंकर की पूजा करते हैं भगवान उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं।
30 जुलाई राशिफल: कर्क राशि वालों के लिए मंगलवार रहेगा उन्नति वाला दिन, जानें अन्य राशियों का भी हाल
सावन शिवरात्रि पूजन विधि
शिवरात्रि के दिन सुबह उछकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। अब मंदिर या फिर शिवालय में जाकर जल या फिर पंचामृत चढ़ाएं। इसके साथ ही 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करते रहें। फिर भगवान को एक-एक करके बेलपत्र बढ़ाएं। इसके बाद फूल चढ़ाएं। इसके बाद भोग और आचमन करें। इसके बाद धूप आरती कर भगवान से क्षमायाचना करके पूजा संपन्न करें।