धर्म डेस्क: आज श्रावण कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि सुबह 06:41 पर ही समाप्त हो चुकी है। फिलहाल श्रावण कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि चल रही है। साथ ही आज सोमवार का दिन है। आज का सोमवार बड़ा ही महत्वपूर्ण है। यह श्रावण मास का पहला सोमवार है। बीते 28 जुलाई को श्रावण मास की शुरुआत हुई थी। उस दिन हमने आपको श्रावण के विभिन्न कृत्यों के बारे में जानकारी दी थी।
उन्हीं कृत्यों में से एक है- श्रावण के सोमवार के व्रत और आज श्रावण का पहला सोमवार है। आज के दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है और उनकी विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। आज के दिन भगवान शिव की पूजा करके लाभ पाने का विधि विधान से पूजा करनी ताहिए। जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारें में।
पहला संयोग यह कि सावन इस बार शनिवार से शुरू हुआ है, जो अपने आप में खास होता है। दूसरे इस बार सावन में 5 सोमवार होंगे और तीसरे यह कि ऐसा 19 साल बाद संयोग बना है, जब सावन का महीना पूरे 30 दिनों का होगा। इन सबसे अलग कई शुभ मुहूर्त बन रहे है, जो सावन में शिव भक्तों को खुशियों से सराबोर कर रहे हैं।
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सावन के सोमवार की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं। पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें। इसके बाद तांबे के लोटे (पानी का पात्र) में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें। और अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें। विल्बपत्र और जल से भरा लोटा लेकर पास के शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप या भगवान शिव को कोई अन्य मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक के बाद समय होता मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। मंदिर में पूजा करने बाद घर में पूजा-पाठ करें। घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें -
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये'
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें -
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
ध्यान के पश्चात 'ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा ' ॐ शिवाय नमः ' से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें। उसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें।