Sawan 2019: सावन का पवित्र माह चल रहा है। इस माह में हर शिवभक्त भगवान शिव की पूजा बड़े भी चाव से करता है। जिससे भोलेनाथ की कृपा उनके ऊपर बनी रहे। भक्त शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र और जल चढ़ाते हैं ताकि भोले बाबा जल्द प्रसन्न हो जाएं। लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि आखिर भगवान शिव को बेलपत्र और जल इतना प्रिय क्यों है। जानें इसकी पौराणिक कथा के बारे में।
आपने देवताओं और दानवों के सागर मंथन की कथा तो सुनी ही होगी। जब ये मंथन हुआ तो उसमें से अच्छी और बुरी दोनों तरह की चीज़े निकली थीं। इसी मंथन के दौरान हलाहल नाम का विष भी निकला जिसका प्रभाव इतना था कि समस्त विश्व विनाश की और बढ़ने लगा। किसी में इतनी शक्ति भी नहीं थी कि उस विष के जानलेवा प्रभाव को रोक सके। तब भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को अपने कंठ में धारण किया था। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और इसीलिए शिव नीलकंठ भी कहलाए जाते हैं। भगवान ने विष को कंठ में धारण तो कर लिया लेकिन इससे उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया। जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा। चूंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है लिहाज़ा तब सभी देवी देवताओं ने बेल पत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया।
बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी। और तभी से शिव पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी।
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