धर्म डेस्क: आज से यानी कि 28 जुलाई से श्रावण मास का आरंभ है। इसके साथ ही सावन माह भी शुरु हो गया है। आज के दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि और शनिवार का दिन है। श्रावण मास आज के दिन, यानी 28 जुलाई से शुरू होकर 26 अगस्त तक रहेगा। श्रावण मास को शिव भक्ति के लिये जाना जाता है। इस दौरान चारों तरफ भोले बाबा के नाम की गूंज सुनाई देती है। इस बार सावन बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। ऐसा संयोग 19 साल बाद पड़ रहा है। क्योंकि इस बार सावन पूरे एक माह के लिए होगा।
शिव भक्त इस दौरान पूरी तरह से शिव की साधना में लीन होते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। कहते हैं माता पार्वती ने भी शिव जी को पति के रूप में पाने के लिये श्रावण मास में कठोर तप किया था और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। अतः अच्छे वर की प्राप्ति के लिये इस महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए।
श्रावण मास में ही भगवान शिव के निमित्त कांवड़ भी लाई जाती है, जिसे श्रावण मास की शिवरात्रि के दिन उचित विधि-विधान से भगवान शिव के मन्दिर में अर्पित किया जाता है। इसके अलावा और भी बहुत से कृत्य हैं जो श्रावण मास में किये जाते हैं।
कृत्यकल्पतरु नैयतकालिक के पृष्ठ 395 से 397, कृत्यरत्नाकर के पृष्ठ 218 से 254, वर्षक्रियाकौमदी के पृष्ठ 292 पर, कृत्यतत्व के पृष्ठ 437 से 438, निर्णयसिन्धु के पृष्ठ 109 से 122, स्मृतिकौस्तुभ के पृष्ठ 148 से 200, पुरुषार्थ चिन्तामणि के पृष्ठ 215 से 222 में श्रावण के कृत्यों का जिक्र किया गया है। इस बारें में जानें आचार्य इंदु प्रकाश से।
श्रावण मास के प्रथम कृत्य की बात की जाये तो स्मृतिकौस्तुभ के पृष्ठ 139 के अनुसार श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को उपवास करना चाहिए या नक्त विधि करनी चाहिए। वैसे तो ये पूरा महीना ही शिव भक्ति के लिये समर्पित है, लेकिन शिव भक्ति के लिये श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार का बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
दरअसल सोमवार का प्रतिनिधि ग्रह चंद्रमा है, जो कि मन का कारक है और चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजित है। अतः भगवान शिव स्वयं अपने भक्तों के मन को नियंत्रित करते हैं और उनकी इच्छाएं पूरी करते हैं और यही वजह है कि श्रावण मास में सोमवार के दिन का इतना महत्व है। आपको बता दूं कि इस बार श्रावण मास में चार सोमवार पड़ रहे हैं।
इस कारण यह सावन है औरों से अलग
संक्रांति की गणना से सावन का महिना 16 जुलाई से शुरु हो गया था। यानी कि पहला सोमवार बीत चुका है। इस सोमवार को नेपाल, उत्तराखंड और अन्य पहाड़ी इलाकों में मनाया जाता है। वहीं पूर्णिमा की गणना से बात करें तो पहवा सोमवा 30 जुलाई को पड़ेगा। , दूसरा 6 अगस्त को, तीसरा 13 अगस्त और चौथा सोमवार 20 अगस्त को है। इस बार अधिक मास के कारण 5 सोमवार का योग बन रहा है।