धर्म डेस्क: आज के दिन अमावस्या तिथि वालों का, यानी जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की अमावस्या को हुआ हो, उनका श्राद्ध कार्य किया जायेगा। अमावस्या तिथि आज सुबह 09:17 तक रहेगी। अतः आज के दिन 09:17 के पहले ही श्राद्ध कार्य कर लेना चाहिए। साथ ही मातामह, यानी नाना का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा। इसमें दौहित्र, यानी बेटी के बेटे को ये श्राद्ध करना चाहिए। भले ही उसके नाना के पुत्र जीवित हों, लेकिन वो भी ये श्राद्ध करके उनका आशीर्वाद पा सकता है। इस श्राद्ध को करने वाला व्यक्ति अत्यंत सुख को पाता है। इसके अलावा जुड़वाओं का श्राद्ध, तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्या का श्राद्ध भी इसी दिन किया जायेगा। साथ ही गरुड़ पुराण के अनुसार आज के दिन हस्त नक्षत्र में अपने पूर्वज़ की स्वर्गवास तिथि के अलावा भी श्राद्ध करके आप श्रेष्ठ विद्या का गुण पा सकते हैं। जानें श्राद्ध कर्म का शुभ मुहूर्त और सर्वपितृ अमावस्या के बारें में।
सर्वपितृ अमावस्या क्या है?
पितृपक्ष का आरंभ भाद्रपद पूर्णिमा से हो जाता है। आश्विन माह का प्रथम पखवाड़ा जो कि माह का कृष्ण पक्ष भी होता है पितृपक्ष के रूप में जाना जाता है। इन दिनों में हिंदू धर्म के अनुयायि अपने दिवंगत पूर्वजों का स्मरण करते हैं। उन्हें याद करते हैं, उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिये स्नान, दान, तर्पण आदि किया जाता है। पूर्वज़ों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के कारण ही इन दिनों को श्राद्ध भी कहा जाता है। हालांकि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कहा जाता है कि जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन करके गई थी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को पितृ शांति के लिये श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन समय के साथ कभी-कभी जाने-अंजाने हम उन तिथियों को भूल जाते हैं जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले जाते हैं। (11 अक्टूबर को गुरु कर रहा है वृश्चिक राशि में प्रवेश, इन 5 राशियों की लाइफ में छाएंगे संकट के बादल )
दूसरा वर्तमान में जीवन भागदौड़ भरा है। हर कोई व्यस्त है। फिर विभिन्न परिजनों की तिथियां अलग-अलग होने से हर रोज समय निकाल कर श्राद्ध करना बड़ा ही कठिन है। लेकिन विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने कुछ ऐसे भी उपाय निकाले हैं जिनसे आप अपने पूर्वजों को याद भी कर सकें और जो आपके समय के महत्व को भी समझे। इसलिये अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिये एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया। इसके लिये कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या का महत्व बताया गया है। समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किये जाने को लेकर ही इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। (भूलकर भी श्राद्ध के आखिरी 2 दिन न करें ये काम, आपको पितृगण हो जाएंगे नाराज )
सर्वपितृ अमावस्या तिथि व श्राद्ध कर्म मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ: 11:31 बजे (8 अक्तूबर 2018)
अमावस्या तिथि समाप्त: 09:16 बजे (9 अक्तूबर 2018)
कुतुप मुहूर्त: 11:45 से 12:31
रौहिण मुहूर्त: 12:31 से 13:17
अपराह्न काल: 13:17 से 15:36
पितृ अमावस्या को श्राद्ध करने की विधि
सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिये। इसके पश्चात घर में श्राद्ध के लिये बनाये गये भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिये भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिये। इसके पश्चात श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल की कामना करनी चाहिये। ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिये व सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी देनी चाहिये। संध्या के समय अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच अथवा सोलह दीप भी प्रज्जवलित करने चाहिएं।