इंडिया टीवी पर 'सर्वधर्म सम्मेलन' चल रहा है। इस महाआयोजन में 20 महागुरुओं की संतवाणी सुनने का मौका मिल रहा है। यहां पर आकर सभी धर्मगुरु इस संकट की घड़ी का सामना करने साहस दे रहे हैं और सकारात्मकता फैला रहे हैं। इसी कड़ी में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कोरोना के संकट काल में स्वस्थ और सुखी रहने का रास्ता समझाया।
परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने दर्शकों को सलाह देते हुए कहा कि सबसे पहला काम यही करना है कि जो सरकार ने नियम बनाए हैं, उनका पालन करें। जो योग, ध्यान और प्राणायाम कर रहे हैं, उनका इम्युनिटी बढ़ेगा। अगर आप इसे अपने दिनचर्या में शामिल करेंगे तो स्वस्थ रहेंगे। खानपान का ध्यान रखिए। अपने विचारों का ख्याल रखिए। सकारात्मक सोचें। अपने जीवन को आध्यात्म की तरफ लेकर जाएं और खुद को भविष्य के लिए तैयार करें, जिससे जीवन सुखी रहेगा।
कोरोना वॉरियर्स को किया सलाम
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने आगे कहा कि 'मैं बार-बार ये कहता रहा कि लॉकडाउन भले रहा, लेकिन लोग डाउन नहीं हुए। सभी ने अपनी ऊर्जा को बनाए रखा। कोरोना वॉरियर्स ने बहुत शानदार काम किया है। वो सम्मान के लायक हैं। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की। घर में बैठकर लोग लॉक रहें, लेकिन डाउन ना रहें। खुद को तराशने का समय है। घरवालों के साथ रहने का मौका मिला, लेकिन कई लोग शिकायत करते नज़र आए।'
सावधानी से आगे बढ़ना है
लॉकडाउन खुलने के बाद क्या करना है, इसके बारे में स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि अपना पूरा ध्यान रखना है। अब सावधानी से आगे बढ़ना है। बुजुर्गों की परवाह करना बहुत जरूरी है। परेशान बिल्कुल भी होने की जरूरत नहीं है। सकारात्मक रहेंगे तो ऊर्जा बनी रहेगी। मनोबल बना रहेगा।
विविधता में एकता, योग की विशेषता
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने आगे कहा कि इनरइम्युनिटी बढ़ाने को लेकर बताया कि सबसे बड़ी साधना है कि ध्यान करें। ध्यान, योग और प्राणायाम से बहुत मजबूती मिलेगी। ये तनाव से भी मुक्त करेगा और जीवन में शांति लाएगा। बाहर और भीतर से भी मजबूत करेगा। आध्यात्म में यही शक्ति है कि ये सभी को जोड़कर रखती है।