इस समय पूरा देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है। इस संकट की घड़ी में आस्था जगाने और जीवन को अनवरत आगे बढ़ाने के प्रयास में इंडिया टीवी कई धर्मों के महागुरुओं के साथ 'सर्वधर्म सम्मेलन' कर रहा है। इन महागुरुओं में ज्ञानी गुरबचन सिंह ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे कोरोना काल में जरुरतमंदों के लिए गुरुद्वारों के द्वार खोल दिए गए और हर शख्स की मदद की गई।
इस संकट की घड़ी में सिख समुदाय ने लोगों की काफी मदद की, ये सेवा धर्म की सीख कहां से मिली? इस पर अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने बताया कि सिख धर्म हमेशा से ही त्याग और सेवा का धर्म रहा है। लोगों को भोजन उपलब्ध कराया। लंगर तैयार किया। जरुरतमंदों की लगातार मदद की जा रही है। किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी।
ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि गुरुधर अटूट खजाना है, जो हमेशा भरा रहेगा। लंगर और प्रसाद मिलता रहेगा। सभी को मिलकर जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए। सेवा भाव में भी खजाना कम नहीं होता। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि बेरोजगारों को रोजगार मिलना चाहिए।
बता दें कि कोरोना काल में आस्था जगाने और जीवन को अनवरत चलायमान रखने के प्रयास में इंडिया टीवी कई धर्मों के महागुरुओं के साथ सर्वधर्म सम्मेलन कर रहा है।